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Saturday, 27 March 2021

Hardware Store शुरू कैसे करें-Hardware Shop

March 27, 2021 0

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हार्डवेयर- Hardware Store

हार्डवेयर की दुकान शुरू करने से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

हार्डवेयर की दुकान भी अन्य तरह की दुकानों जैसी होती है और इस प्रकार की दुकान के जरिए हार्डवेयर की चीजें ग्राहकों को बेची जाती हैं | किसी भी प्रकार की दुकान खोलने से पहले आपको उस दुकान के जरिए बेचे जाने वाले सामान के बारे में सही से जानकारी होना जरूरी हैं | इसी तरह से अगर आप हार्डवेयर की दुकान खोलते हैं, तो आपको इस दुकान के जरिए बेचे जाने वाले हर सामान के बारे में अच्छे से पता होना चाहिए | जैसे कि हार्डवेयर की दुकान के जरिए कौन से सामान बेचे जाते हैं और इन सामानों का इस्तेमाल किन चीजों के लिए होता है | 

हार्डवेयर के अंतर्गत आने वाले सामान 

हार्डवेयर के अंतर्गत कई तरह के सामान आते हैं और इन सामानों का इस्तेमाल विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है। चेन, रस्सी, स्टेपल, तार, स्क्रू, पाइप, अलग-अलग प्रकार के हथोड़े, कील, पटला, टैप और इत्यादि हार्डवेयर के सामान होते हैं, जिनका उपयोग, कारपेंटर, मैकेनिक, घर बनाने वाले मिस्त्री द्वारा अधिक किया जाता है। आप जब अपने हार्डवेयर की दुकान खोलें, तो केवल उन्हीं हार्यवेयर के सामानों को शुरू में खरीद कर खरीदें, जिनकी मांग अधिक रहती है और साथ में ही जिन पर आपको अधिक मुनाफा भी मिल सके। वहीं जब एक बार आपकी दुकान अच्छी से चलने लगी तो आप अन्य हार्डवेयर के सामानों को भी खरीद कर बेच सकते हैं।

कौन खोल सकता है हार्डवेयर स्टोर 

अगर आपको हार्डवेयर के सामानों के बारे में जानकारी है और आपकी रूचि इन सामानों को बेचने में है, तो ही आप इस स्टोर को खोले। क्योंकि इन सामानों की जानकारी ना होने पर इन सामानों को खरीदने और बेचने में आपको काफी कठिनाई होगी।

कौशल और अनुभव क्या हैं

हार्डवेयर की दुकान खोलने के लिए किसी भी प्रकार की डिग्री की जरूरत नहीं है। आपको बस ये पता होना चाहिए की हार्डवेयर के सामानों को किस तरह से रखा जाता है और इन सामानों का इस्तेमाल किन कार्यों के लिए किया जाता है। अगर आपके पास इन सामानों से जुड़े किसी भी प्रकार का अनुभव नहीं है तो आप किसी हार्डवेयर की दुकान में कार्य करके ये अनुभव हासिल कर सकते हैं।

इस व्यापार की वृद्धि 

एक बार जब आपकी दुकान अच्छे से स्थापित हो जाए तो आप अपनी दुकान की फ्रेंचाइजी देना भी शुरू कर सकते हैं. फ्रेंचाइजी देने से ना केवल आपके स्टोर की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी, बल्कि साथ में ही आप अपने स्टोर की फ्रेंचाइजी देकर भी पैसे कमा सकेंगे |

हार्डवेयर की दुकान खोलने की प्रक्रिया 

हार्डवेयर की दुकान खोलने के लिए आपको किसी दुकान को किराए पर लेना होगा और उस दुकान में हार्डवेयर के सामानों को रखने के लिए जगह भी बनवानी होगी | जगह बनाने के बाद आपको कई प्रकार के हार्डवेयर के सामानों को किसी थोक व्यापारी से खरीदाना होगा |

जगह का चयन 

किसी भी प्रकार का स्टोर खोलने में स्थान एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है, क्योंकि अगर आप किसी ऐसी जगह पर अपनी हार्डवेयर की दुकान खोल लेते हैं, जहां पर अधिक आबादी नहीं है और ना ही हार्डवेयर का सामान ज्यादा लोगों द्वारा खरीदा जाता है, तो आपको केवल नुकसान ही होगा | 

आपको हार्डवेयर का स्टोर ऐसे स्थान पर खोलना होगा जो कि भीड़ भाड़ वाली जगह पर हो | इसके अलावा अगर आपकी दुकान किसी बड़े रोड या फिर किसी प्रसिद्ध मार्केट के पास होगा, तो ज्यादा बेहतर होगा. क्योंकि ऐसा होने से ज्यादा से ज्यादा लोग आपकी दुकान से सामान खरीद पाएंगे |

कितनी बड़ी होनी चाहिए दुकान 

हार्डवेयर की दुकान में कई तरह के सामान रखे जाते हैं, जिसमें से कुछ सामान थोड़ी जगह घेरते हैं, तो कुछ सामानों को रखने के लिए अधिक जगह की जरूरत पड़ती है | इसलिए आप जिस दुकान का चयन अपने हार्डवेयर स्टोर को खोलने के लिए करें वो दुकान बड़ी होनी चाहिए, ताकि आपको पाइप और सीढ़ी, जैसे हार्डवेयर सामानों को रखने में कोई दिक्कत ना हो |

स्टोर का निर्माण 

दुकान का चयन कर लेने के बाद, आपको उस दुकान में कई चीजों का निर्माण भी करवाना होगा. जैसे कि दुकान के अंदर आपको हार्डवेयर के सामान को रखने के लिए कैबन बनाने होंगे, साथ में ही आपको, हार्डवेयर के सामानों को रखने के लिए एक स्टोर की जरूरत भी पड़ेगी, वहीं पाइप जैसे सामनों को रखने के लिए आपको खुली जगह चाहिए होगी | 

स्टोर के नाम का चयन कैसे करें 

आपको अपनी हार्डवेयर की दुकान का एक नाम भी रखना होगा और उसी नाम से आपकी दुकान को जाना जाएगा | इसलिए सोच समझ कर ही अपनी हार्डवेयर की दुकान का नाम आप रखें |

आप अपनी दुकान के जरिए हार्डवेयर का सामान बेच रहे हैं तो आपको अपने इस स्टोर का नाम कुछ ऐसा रखना होगा, जिसको पढ़ते ही समझ आ जाए की आपके द्वारा इस स्टोर में हार्डवेयर का सामना बेचा जाता है | 

एक बार जब आप अपने स्टोर का नाम तय कर लें, तो आपको अपनी दुकान के नाम का एक बोर्ड भी बनवाना होगा और इस बोर्ड को अपनी दुकान के ऊपर लगाना होगा | इस बोर्ड पर आपकी दुकान के नाम के अलावा आपकी दुकान का पता और फोन नंबर जैसी इत्यादि चीजें भी लिखवानी होंगी | 

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कहां से हार्डवेयर का सामान खरीदें 

हार्डवेयर की दुकान को शुरू करते वक्त आपको कई प्रकार के हार्डवेयर सामानों को खरीदना होगा और आप ये सामान इनको बनाने वाले किसी व्यापारी से सीधे तौर पर खरीद सकते है या फिर इनको बेचने वाले किसी थोक विक्रेता से इन्हें खरीद सकते हैं | कोशिश करें कि आप ये सामान किसी एक थोक विक्रेता से खरीदने से पहले चार पांच विक्रेता से भी मिल लें और जिस थोक विक्रेता द्वारा ये सामान कम दामों में आपको बेचा जाए, आप उससे इन सामानों को खरीद लें | साथ ही आप केवल एक ही थोक व्यापारी पर निर्भर ना रहें और अन्य थोक विक्रेताओं से भी समय समय पर सामान खरीदते रहें |

हार्डवेयर की दुकान खोलने के लिए बिजनेस प्लान तैयार करें 

हार्डवेयर दुकान शुरू करने से पहले आपको इस स्टोर को खोलने से जुड़ा हुआ एक बिजनेस प्लान भी तैयार करना होगा और उस बिजनेस प्लान में आपको हार्डवेयर दुकान को खोलने में आनेवाला खर्चा, कहां से हार्डवेयर का सामान खरीदा जाए, आपका लक्षित बाजार या ग्राहक कौन हैं और इत्यादि जैसी चीजों की जानकारी लिखनी होगी | इसके अलावा आप अपने शहर की किसी हाईवेयर की दुकान में जाकर भी देख सकते हैं कि किस तरह से उस दुकान को बनाया गया है और क्या क्या सामान उस दुकान के जरिए बेचे जा रहे हैं |

आवश्यक परमिट और लाइसेंस प्राप्त करें –

आप जिस राज्य में अपनी हार्डवेयर की दुकान खोल रहे हैं आपको उस राज्य की स्थानीय नगर पालिका से अपनी दुकान को शुरू करने से पहले लाइसेंस  प्राप्त करना होगा और साथ में ही अपनी दुकान को भारतीय दुकान और स्थापना अधिनियम के तहत पंजीकृत भी करवाना होगा | वहीं अगर आपको लाइसेंस लेने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं है तो आप किसी वकील से मदद ले सकते हैं |

आयकर के लिए रजिस्टर करवाएं  –

अपनी दुकान को शुरू करने से पहले आपको आयकर भरने से जुड़े हुए सभी प्रकार के पंजीकरण भी करवाने होंगे | वहीं अगर आपको आयकर किस तरह से भरा जाता है और इससे जुड़े हुए पंजीकरण कैसे करवाए जाते है | इसके बारे में जानकारी नहीं है तो आप किसी चार्टर्ड एकाउंटेंट की सहायता ले सकते हैं | याद रहे कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना हर दुकानदार के लिए अनिवार्य है और आप इसे जरूर करवा लें और अपना जीएसटी नंबर ले लें |

व्यापार बीमा प्राप्त करना 

अपनी हार्डवेयर की दुकान को शुरू करने से पहले, आप इस दुकान का इन्शुरेंस  भी जरूर करवा लें, ताकि अगर किसी कारण से आपकी दुकान का कोई नुकसान हो जाए, तो आप बीमा की राशि की मदद से अपने नुकसान को कम कर सकें |

बाजार में कई ऐसी बीमा कंपनियां हैं जो कि व्यापार बीमा करती हैं, इसलिए आप अपनी दुकान का बीमा करवाने से पहले, व्यापार बीमा करवाने वाली चार पांच कंपनियों द्वारा कितना बीमा क्लेम दिया जा रहे, इसकी तुलना कर लें | और जो कंपनी अधिक बीमा क्लेम दे रही हो उससे अपनी दुकान का बीमा करवा लें |

लोगों का चयन कैसे करें 

हार्डवेयर की दुकान में बेचे जाने वाला सामान काफी भारी होता है और इन सामानों को संभालना भी काफी मुश्किल होता है | इसलिए आप केवल उन्हीं  लोगों को नौकरी पर रखें, जो कि हार्डवेयर के सामानों को अच्छे से संभाल सकें | और उन्हें रस्सी के आकार, रस्सी कितने प्रकार की होती है, ये कितने साइज में आती है, किस तरह की रस्सी का इस्तेमाल किस कार्य के लिए किया जाता है, पाइप को किस तरह से काटा जाता है और इत्यादि जैसी चीजों की जानकारी हो |

बजट और अन्य खर्चे 

हार्डवेयर की सामान्य दुकान खोलने में आपको कम से कम दो लाख रुपए का खर्चा आ सकता है | वहीं अगर आप काफी बड़ी दुकान खोलते हैं तो ये खर्चा चार लाख रुपए तक आ सकता है | 

साथ ही में जब आपकी हार्डवेयर की दुकान शुरू हो जाएगी तो आपको कई तरह के अन्य खर्चे भी समय समय पर उठाने पड़ेंगे, जैसे कि दुकान का किराया, दुकान की बिजली का खर्चा, कर्मचारियों की आय और इत्यादि | इसलिए आप इन खर्चों को भी अपने बजट में जोड़ लें | ताकि जब आप दुकान शुरू करें तो आपके द्वारा निर्धारित किया गया बजट कम ना पड़े |

मुनाफा 

हर उत्पाद की बिक्री पर अलग अलग प्रॉफिट मार्जिन कंपनियों द्वारा दिया जाता है और ये प्रॉफिट मार्जिन किन्हीं उत्पादों पर ज्यादा होता है और किन्ही उत्पादों पर कम दिया जाता है और इन उत्पादों पर मिलने वाला ये प्रॉफिट ही आपकी इनकम होगी |

कैसे कमाएं अधिक मुनाफा 

लोगों से करें संपर्क–  हार्डवेयर की दुकान पर कई प्रकार के टूल, बेचे जाते हैं और इन टूल का सबसे अधिक इस्तेमाल कारपेंटर, पेंटरों और मिस्त्री द्वारा किया जाते हैं, इसलिए अगर आप अपने सामान की अधिक बिक्री करना चाहते हैं, तो आप अपने एरिया के कारपेंटर और जो लोगों घर बनाने का कार्य करते हैं, उनसे संपर्क में रहें, ताकि अगर उनको कभी भी इस प्रकार के सामान की जरूरत पड़े तो वो आप से ही इन्हें खरीदें, वहीं आप इन्हें ये सामान बेच कर पैसे कमा पाएं | 

वेबसाइट के जरिए – आजकल अधिकतर लोगों द्वारा वेबसाइट के जरिए ही शॉपिंग की जाती है और ऐसे में अगर आप भी वेबसाइट के साथ अपने व्यापार को जोड़ लेंगे, तो आप अधिक से अधिक ग्राहकों तक अपना सामान पंहुचा सकेंगे | वहीं आप अपने दुकान के जरिए बेचे जाने वाले हार्डवेयर के सामानों को अपनी खुद की वेबसाइट शुरू करके भी बेच सकते हैं या फिर किसी अन्य शॉपिंग वेबसाइट के जरिए भी अपने हार्डवेयर के सामान को बेच सकते हैं | 

विज्ञापन के जरिए- ग्राहकों तक अपनी दुकान के बारे में जानकारी पहुंचाने के लिए, आप लोकल अखबार में अपने दुकान का विज्ञापन दे सकते हैं या फिर अपनी दुकान का बोर्ड सड़कों के किनारे भी लगा सकते हैं |

हार्डवेयर की दुकान को खोलने से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी –

  • अपने व्यापार के वित्तीय खर्चे का हिसाब रखना भी काफी जरूरी होता है, इसलिए आप अपनी महीने की कमाई, खर्चे और आयकर का रिकॉर्ड जरूर बनाकर रखें | ताकि आपको पता चल सके की आपके व्यापार में आपको कितना मुनाफा हो रहा है | 
  • आप दुकान में बेचे जाने वाले सब सामानों की सूची कंप्यूटर में भी भर के रख लें | कंप्यूटर में सामानों की सूची होने से आपको आसानी से पता चल सकेगा कि किस सामान का कितना स्टॉक आपकी दुकान में बचा हुआ है, कौन सा सामान खत्म होने वाला है और किस सामान की बिक्री ज्यादा हुई है | 
  • अपने हार्डवेयर स्टोर के जरिए आप जो सामान बेचना चाहते हैं उसका चयन सोच समझ कर करें और केवल उन्हीं हार्डवेयर सामानों को बेचे जिनमें आपको अधिक मुनाफा मिले और जो जल्दी से बिक भी जाएं | 
  • हार्डवेयर के कई ऐसे सामान होते हैं जिनपर एमआरपी नहीं लिखती होती है और इसलिए आप इन सामानों को थोड़े से उच्च दामों में भी बेच सकते हैं |
  • जिस क्षेत्र में आप ये स्टोर खोलने वाले हैं, उस क्षेत्र में पहले से कितने हार्डवेयर के स्टोर मौजूद है आप ये पता कर लें | साथ ही इन स्टोर द्वारा कौन सा सामान कितने में बेचा जा रहा है ये भी पता कर लें और हो सके तो आप अपने हार्डवेयर का सामान, इन दुकानों पर बिकने वाले सामानों के मूल्य से कम में बेचे. ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहक आप से जुड़ सकें | 

परिणाम 

हार्डवेयर की दुकान के जरिए आप कई तरह का सामान बेच सकते हैं और हार्डवेयर के सामानों की मांग भी काफी रहती है | इसलिए इस व्यापार में नुकसान होने की संभावना भी कम बनी रहती है और आप इस व्यापार को बिना किसी डर के शुरू कर सकते हैं |


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Friday, 26 March 2021

Company कैसे शुरू करें-Business Idea

March 26, 2021 0
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 Company कैसे शुरू करें

कंपनी वह होती है, जो कुछ प्रशिक्षित लोग मिलकर बनाते हैं, जिसका उपयोग विभिन्न तरह के सामान बेचने व खरीदने के लिए या सेवाओं को प्रदान करने या फिर लेने के लिए किया जाता है | आज के समय में भारत देश में बहुत सी ऐसी कंपनी है, जो नंबर वन पर है, लेकिन बहुत सी ऐसी कंपनी है, जो आज तक संघर्ष कर रही हैं, क्योंकि आज के समय में बाजार में इतनी अधिक प्रतियोगिता बढ़ गई है, कि कोई भी बाजार में संतुलन नहीं बना पा रहा हैं | आज हम आपको विस्तारपूर्वक बताएंगे कि कंपनी क्या होती है और वह किस तरह से कार्य करती है, साथ ही बताएंगे कंपनी के कितने प्रकार होते हैं | 

कंपनी क्या है 

कुछ चुने हुए प्रशिक्षित अधिकारी जब एक संगठन को मिलकर चलाते हैं, तो वह एक कंपनी बन जाती है | कंपनी में मौजूद शेयरधारकों द्वारा सामान बेचने व खरीदने के लिए या फिर सेवाओं का आदान प्रदान करने के लिए उस कंपनी का निर्माण किया जाता है | कुछ कंपनियां लाभकारी संगठन से जुड़ी होती है और कुछ कंपनियां गैर-लाभकारी संगठन के लिए भी कार्य करती हैं | एक अकेला इंसान किसी भी कंपनी को नहीं चला सकता है, उसे उस कंपनी को चलाने के लिए कई सारे श्रमिकों की आवश्यकता होती है, जिसके लिए वे कई लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं | कंपनियों को हक होता है, कि वे दूसरी कंपनियों के शेयर खरीद कर उन्हें अपने नाम कर सकती हैं व जरूरत पड़ने पर दूसरी कंपनियों पर मुकदमा भी कर सकती हैं | इसके अतिरिक्त एक कंपनी अपनी पूंजी वृद्धि के लिए बाजार से पैसा उधार भी लेती है व अपने शेयर बेच कर पैसे इकट्ठा भी करती है | यदि कानूनी रूप से देखा जाए, तो सभी प्रकार की कंपनियों के पास समान अधिकार व जिम्मेदारियां होती हैं | साथ ही उनके पास जिम्मेदारी के तौर पर कुछ कानूनी नियम भी होते हैं, जिनका अनुसरण करना उनके लिए अनिवार्य होता है | यदि कोई भी कंपनी कानून के बनाए हुए नियमों का उल्लंघन करती है, तो वे उनके लिए दंडनीय अपराध होता है |

कंपनी के प्रकार 

आमतौर पर कंपनी के कई सारे प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित है:-

एकल व्यक्ति कंपनी :- एक कंपनी सदस्यों के आधार पर भी बनाई जाती है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग अपना व्यवसाय आरंभ करने की ही सोच रहे होते हैं, पर उस समय उनके पास उपयुक्त पूंजी नहीं होती है | ऐसे में वे अकेले ही युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई कंपनी का अविष्कार करते हैं और अपने व्यवसाय को धीरे-धीरे बढ़ावा देते हैं |

निजी कंपनी :- निजी कंपनी वह कंपनी होती है, जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति कंपनी अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड हो जाते हैं और एक अपनी अलग से कंपनी बनाते हैं | वे एक व्यवसाय निर्धारित कर लेते हैं और उससे जुड़ी सभी प्रशिक्षित वस्तुओं के बारे में जानकर एक कंपनी का आरंभ कर देते हैं |

सार्वजनिक कंपनी :- एक ऐसी कंपनी जो कानूनी वस्तुओं के साथ न्यूनतम 7 सदस्यों की संख्या द्वारा बनाई जाती है, उसे सार्वजनिक कंपनी कहते हैं | इस कंपनी में अधिकतम सदस्यों की कोई सीमा नहीं होती है, क्योंकि यह एक पंजीकृत कंपनी होती है | इस कंपनी को अपने शेयर स्वतंत्र रूप से बेचने व खरीदने की पूरी छूट होती है | कोई भी व्यक्ति जब सार्वजनिक कंपनी से जुड़ जाता है, तो वह भी सार्वजनिक कंपनी के अंतर्गत आ जाता है |

साझेदार कंपनी :- एक कंपनी ऐसी होती है जो कुछ साझेदारों द्वारा आरंभ की जाती है और चलाई भी जाती है | किसी भी कंपनी को चलाने के लिए 2 या उससे अधिक साझेदार उस कंपनी के मालिकाना हक को पाने के हकदार होते हैं |

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Company कैसे शुरू करें-Business Idea

कंपनी की विशेषताएँ 

फेक पर्सन :-  एक कंपनी भी एक व्यक्ति की तरह ही कार्य करती है जिस तरह से एक मनुष्य सबसे पहले ईश्वर की इच्छा अनुसार जन्म लेता है | ठीक उसी प्रकार एक कंपनी मनुष्य की इच्छा अनुसार जन्म लेती है मतलब स्थापित की जाती है | जिस तरह मनुष्य का जीवन चलता है वह बढ़ता है खाता है पीता है और जीवन में दुख और सुख देखता है, ठीक उसी तरह एक कंपनी को भी सभी प्रकार के दुख-सुख अर्थात हानि और लाभ भुगतने पड़ते हैं | जो उनको नुकसान भी पहुंचाते हैं तो फायदा भी दिलाते हैं |

स्वतंत्र कंपनी – स्वतन्त्र कंपनी एक कंपनी की ऐसी विशेषता है | जिसके अंतर्गत कोई भी कंपनी अपने सदस्यों से अलग एक इकाई बनाती है | वह पूरी संपत्ति अपने नाम पर ही रख सकती है और किसी भी अनुबंध को कभी भी बना व बिगाड़ सकती है | उस कंपनी में कंपनी मालिक को इतनी स्वतंत्रता होती है कि वह दूसरों पर किसी भी तरह की गलती होने पर मुकदमा कर सकता है | व दूसरी कंपनियां भी उस कंपनी पर कोई परेशानी वाली स्थिति उत्पन्न होने पर मुकदमा कर सकती है |

सभी प्रभावों से दूर – एक कंपनी ऐसी होती है जिस पर प्राकृतिक प्रभावों का कोई असर नहीं पड़ता है | सरल शब्दों में कहें तो किसी भी कंपनी के किसी भी सदस्य व संचालक की मृत्यु उसका पागलपन या संपत्ति रूप से वह पूरी तरह से बर्बाद हो जाने के बाद भी एक कंपनी पर उस परिस्थिति का कोई असर नहीं पड़ता है | 

सीमित दायित्व – एक कंपनी में कई सारे सदस्य मौजूद होते हैं | जो उस कंपनी के शेयर वार्षिक रूप से अपने नाम पर लेकर उस कंपनी के सदस्य बनते हैं | कोई भी व्यक्ति जो कंपनी से शेयर लेता है उसकी पूरी गारंटी सिर्फ कंपनी द्वारा दी गई गारंटी तक सीमित होती हैं | 

शेयर ट्रान्सफर सुविधा – सार्वजनिक कंपनी में एक सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वह अपने द्वारा अपनाए गए शेयर को स्वतंत्रता पूर्वक किसी के हाथ में भी ट्रान्सफर कर सकते हैं | अब किसी परिस्थिति में यदि कोई कंपनी का मालिक अपने द्वारा लिए हुए शेयर को बेचना व खरीदना चाहता है तो वह भी विनिमय के माध्यम से अपने शेयर को खरीद व बेच सकता है | 

स्वामित्व तथा प्रबंधन – सामान्य तौर पर एक सार्वजनिक कंपनी में सदस्यों की संख्या और सीमित होती है इसका यही मतलब है कि एक सार्वजनिक कंपनी में काफी मात्रा में सदस्य मौजूद होते हैं | जो कंपनी में होने वाले प्रत्येक कार्य व प्रबंधन में दिन-प्रतिदिन भाग लेने में सक्षम नहीं हो पाते हैं | इसलिए एक कंपनी का प्रबंध संचालक मंडल तैयार किया जाता है जो पूरी तरह से कंपनी को संचालित करते हैं | कंपनी के सदस्यों द्वारा ही चुनाव प्रक्रिया के जरिए कंपनी के मुख्य संचालकों को चुना जाता है अतः उन्हें कंपनी के प्रबंधन का पूर्ण स्वामित्व प्रदान कर दिया जाता है | 

अपनी कंपनी को रजिस्टर करना क्यों आवश्यक है 

किसी भी एक कंपनी को सुचारु रुप से चलाने के लिए उसका पंजीकरण कराना बहुत ज़रुरी होता है | आइए जानते हैं कुछ मुख्य कारण की एक कंपनी को पंजीकृत कराने से आपको क्या फायदा होता है और आपको क्यों एक कंपनी पंजीकृत करनी चाहिए |  

कंपनी का पंजीकरण कंपनी को देता है मुख्य पहचान :- कोई भी कंपनी चलाने के लिए उसका पंजीकरण कराना बेहद आवश्यक होता है | क्योंकि वह कंपनी को एक विशिष्ट पहचान देता है. कंपनी कानूनी रूप से पंजीकृत करा ली जाती है तो वह आसानी से उपभोक्ताओं आपके उत्साह पर भरोसा दिलाने के लिए सक्षम हो पाती है | कानूनी रुप से पंजीकृत कराने पर आपकी कंपनी को एक कानूनी नाम, पता व पहचान प्राप्त हो जाती है | यदि आप अपनी कंपनी अपने पसंदीदा नाम से पंजीकृत करा लेते हैं तो आपको यह भी पता चल जाता है कि इस नाम का उपयोग पहले कोई व्यक्ति अपनी कंपनी के लिए कर चुका है या नहीं और यदि आपने वह नाम अपने व्यवसाय के लिए चुन लिया है तो उस नाम को कोई भी व्यक्ति अपनी कंपनी के नाम के लिए उपयोग नहीं कर सकता है |

यह आपको व्यक्तित्व दायित्व से बचाता है :- जब आप एक कंपनी पंजीकृत करा लेते हैं भले ही वह आपके नाम पर क्यों ना हो, ऐसे में कंपनी में किसी भी होने वाले नुकसान की भरपाई आपको व्यक्तिगत रूप से नहीं करनी पड़ती है | सरल शब्दों में कहें तो किसी भी संपत्ति जैसे किसी भी भारी क्षति का मुकदमा अदालत में दायर तो किया जा सकता है, लेकिन एक पंजीकृत कंपनी के स्वामित्व रखने वाले व्यक्ति को इसका पूरी तरह जिम्मेदार नहीं माना जाता है | यदि आपकी कंपनी पंजीकृत है तो मान लीजिए कि आपकी कंपनी पर कोई लोन बकाया है या फिर किसी कंपनी की राशि बकाया है जो आपको भुगतान करनी है, ऐसे में यदि आप भुगतान नहीं कर पाते हैं और आपकी कंपनी में कोई बड़ा नुकसान हो जाता है, तो इसकी भरपाई आपके घर की किसी भी वस्तु को बेचकर नहीं की जा सकती है क्योंकि आपकी कंपनी पंजीकृत है |

ग्राहकों को आकर्षित करना होता आसान है :- किसी भी कंपनी या उसके द्वारा निर्मित उत्पाद पर विश्वास करना किसी भी ग्राहक के लिए आसान नहीं होता, लेकिन कंपनी में मौजूद सदस्य उस उत्पाद को इतना आकर्षित बना देते हैं कि ग्राहकों को आकर्षित करना और उनको विश्वास दिलाना बेहद आसान हो जाता है |

अपनी कंपनी के लिए निवेशक आसानी से प्राप्त करना :-  किसी भी कंपनी को चलाने के लिए उसमें संपूर्ण वित्तीय राशि की आवश्यकता होती है | ऐसे में कोई भी एक व्यक्ति एक कंपनी को चलाने के लिए पर्याप्त राशि नहीं जुटा सकता है और ना ही पर्याप्त साधन जुटा सकता है | ऐसे में कंपनी को कुछ निवेशकों की आवश्यकता होती है या फिर वह अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए किसी बैंक से लोन लेता है, जिसके लिए उस कंपनी का पंजीकृत होना बहुत आवश्यक है | यदि कोई कंपनी पंजीकृत नहीं होती है, तो ऐसी कंपनी में कोई भी निवेशक अपनी राशि निवेश नहीं करता है | एक निवेशक को अपनी कंपनी में निवेश के लिए निमंत्रण देने से पहले आपको अपनी कंपनी पंजीकृत करानी आवश्यक है |

व्यवसाय को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए :- कुछ लोग छोटे पैमाने पर अपना व्यवसाय शुरू करते है, उस समय वह अपने व्यापार को पंजीकृत नहीं कराते हैं | ऐसे में वह अपना व्यवसाय कब तक चला पाएगा कब तक नहीं इस बात का कोई अंदाजा नहीं लगा पाता है | यदि आप अपना व्यवसाय लंबे समय तक चलाना चाहता है, और वह अपनी भविष्य की योजना पहले से ही तैयार रखता है तो उसके लिए आवश्यक है कि आप अपनी कंपनी पंजीकृत अवश्य करा ले |

अपनी कंपनी को रजिस्टर कैसे करे 

कंपनी को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए एक प्रक्रिया अपनानी अनिवार्य है जो निम्नलिखित है :-

भारतीय कंपनी अधिनियम के तहत कंपनी के रजिस्ट्रेशन के समय एक कोरिया नंबर जारी किया जाता है, जो DIN ((DIRECTOR IDENTIFICATION NUMBER) मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स द्वारा एक यूनीक आईडेंटिफिकेशन कोड होता है | उस कोड से एक व्यक्ति जो कंपनी का प्रबंधक बनना चाहता है, यह उसकी पहचान होती है. इस कोड को प्राप्त करने के लिए आपको एमसीए पोर्टल पर जाकर इ-फॉर्म dir-3 भरना पड़ता है | जिसके लिए आपको 500 रुपए की एप्लीकेशन फीस भी जमा करनी होती है | 

दूसरे चरण में आपको डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट DIGITAL SIGNATURE CERTIFICATE (DSC) प्राप्त करना होता है | यदि आप चाहते हैं कि आपकी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कार्य शीघ्रता से संपन्न हो तो आपको यह सर्टिफिकेट प्राप्त करना बहुत आवश्यक होता है | इसके बाद आपको बिजनेस रजिस्ट्रेशन करते समय एक फॉर्म भी भरना आवश्यक होता है, इससे भारत सरकार द्वारा प्राधिकृत थर्ड पार्टीज कंपनी जैसे टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज, नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर, एमटीएनएल ट्रस्टलाइन, e-mudra ये सभी सुविधाएं सरकार द्वारा प्रत्येक कंपनी के लिए उपलब्ध कराई जाते हैं | एक कंपनी को पंजीकृत कराने के लिए आपको डीएससी एक ऐसी कंपनी जो भारत सरकार द्वारा प्राधिकृत होती है उसके ऑफिस में जाकर आपको अपनी कंपनी के रजिस्ट्रेशन के लिए आपना आवेदन भरना होता है | यदि आप बीएससी द्वारा आवेदन भरते हैं तो आवेदन के समय होने वाला सारा खर्च कंपनी के आधार पर निर्भर करता है | e-mudra के अनुसार इसकी कीमत मात्र 899 रुपये रखी गई है | 

इस प्रक्रिया के तीसरे चरण में आपको अपनी कंपनी किस नाम पर रजिस्टर करानी है, उस नाम को सबसे पहले आपको एमसीए पोर्टल के माध्यम से चेक कर लेना चाहिए, कि आप जिस नाम को रजिस्टर कराना चाहते हैं, वह पहले से किसी और कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड ना हो | यदि आपके द्वारा सोचा गया नाम किसी भी कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड नहीं है, तो आप उस नाम को अपनी कंपनी का नाम रख सकते हैं उसके बाद आपको एक inc-1 फॉर्म भरना होता है | इसका सीधा और सरल मतलब यह होता है कि आपके द्वारा सोचा गया नाम आपकी कंपनी के लिए पंजीकृत किया जा चुका है, इस नाम का कोई और व्यक्ति उपयोग नहीं कर सकता है |

कंपनीज एक्ट 2015 के अनुसार एक कंपनी के लिए कुछ मुख्य नियम व कानून लागू किए गए हैं | उनके अनुसार कंपनी के पंजीकृत के समय मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन कंपनी के लिए दो मुख्य ऐसे व्यवसायिक डाक्यूमेंट्स हैं जिन्हें प्रत्येक कंपनी को प्राप्त करना आवश्यक है | सामान्य तौर पर इन दोनों दस्तावेजों में एक कंपनी द्वारा पालन किए गए दिशा-निर्देश व नियम कानून का पूरा ब्यौरा दिया जाता है | जो कंपनीज एक्ट 2015 के अनुसार अनिवार्य है | कुछ मुख्य प्रकार के दस्तावेज बनाने के लिए वकील या चार्टर्ड अकाउंटेंट की आवश्यकता प्रत्येक कंपनी को पड़ती है | इन दोनों दस्तावेजों का एक कंपनी के लिए अहम स्थान होता है इसलिए इनको एक प्रशिक्षित व्यक्ति की देखरेख में ही बनवाए | 

इन सभी प्रक्रियाओं के बाद आपको एमसीए पोर्टल में जाकर एक और फॉर्म जमा कराना होता है जिसका नाम इनकारपोरेशन फॉर्म है | इसके अंतर्गत यदि आप वन पर्सन कंपनी को पंजीकृत करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको ई-फॉर्म 2 INC-2  को उचित रूप से भरकर जमा कराना होगा | इसके अलावा अन्य प्रकार की कंपनियों के लिए आपको ई-फॉर्म INC-7 भरना होगा | 

रजिस्ट्रेशन फॉर्म की प्रक्रिया के दौरान आपसे एक राशि ली जाती है जिसे स्टांप ड्यूटी होती है | जब आपकी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो आपको एक चालान के साथ स्टैम्प ड्यूटी के भुगतान के बाद एक दस्तावेज दिया जाता है इसे आपको उस राज्य में कंपनी रजिस्टर्ड ऑफिस में दिखाना होता है जिस राज्य में आप अपनी कंपनी स्थापित करने वाले है | 

इस पूरी प्रक्रिया के बाद जब आपके सभी दस्तावेज पूरे हो जाते हैं और आप पूरा फॉर्म भर लेते हैं उसके बाद आपके सभी दस्तावेजों की जांच पड़ताल की जाती है जिसमें लगभग 2 दिन का समय लग जाता है | अब आपको आवश्यकता होती है इन-कोर्पोरेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने की जिसके लिए आपकी रजिस्टर्ड इमेल id पर आपको एक हफ्ते के अंदर इन-कॉर्पोरेशन सर्टिफिकेट प्राप्त हो जाता है | जब आपको इनकॉरपोरेशन सर्टिफिकेट आपकी ईमेल आईडी द्वारा प्राप्त हो जाता है तो उसकी एक फोटो कॉपी करा कर आपको अपने पास जरूर रख लेनी चाहिए, क्योंकि भविष्य में सभी महत्वपूर्ण कार्य में उस सर्टिफ़िकेट की आपको आवश्यकता होती है | 

यदि आप अपनी कंपनी के नाम से एक चालू खाता किसी भी बैंक में खोलना चाहते हैं तो उसके लिए भी आपसे मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन की फोटो कॉपी की मांग की जाती है | 

कंपनी की जब रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी हो जाती है तब आप पैन कार्ड पंजीकरण के लिए एनएसडीएल ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन अवश्य भरे ताकि आप कंपनी के नाम पर एक पैन कार्ड पंजीकृत करा लें | 

कंपनी रजिस्टर कराने के लिए अन्य आवश्यक दस्तावेज़ 


  • कंपनी को पंजीकृत कराने के लिए एक कंपनी में मौजूद सभी प्रबंधकों के पहचान प्रमाण पत्र और साथ ही उनके पता प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी आवश्यक होती है | 
  • अन्य प्रमाण पत्रों के साथ कंपनी के रजिस्ट्रेशन के समय सभी प्रबंधको के पैन कार्ड की फोटो कॉपी होना भी अनिवार्य है | 
  • यदि आपने ऑफिस के लिए अपनी जमीन खरीदी है तो उसका प्रमाण पत्र अन्यथा यदि आपने ऑफिस के लिए कोई जमीन गिरवी पर या फिर किराए पर ली है तो उसके प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी भी रजिस्ट्रेशन के समय आवश्यक होती है | 
  • यदि आपने कोई जमीन किराए पर ली है तो उसके मालिक द्वारा प्राप्त नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भी आपके पास होना अनिवार्य है | 
  • जो व्यक्ति कंपनी को पंजीकृत कराना चाहता है उसका स्वयं का पहचान प्रमाण पत्र और उसकी पंजीकृत ई-मेल id का प्रमाण पत्र भी वहां पर प्रस्तुत करना अनिवार्य है | 
  • कंपनी रजिस्ट्रेशन के समय कंपनी का मालिकाना हक रखने वाले व्यक्ति के बैंक की स्टेटमेंट की फोटो कॉपी और अन्य किसी भी प्रकार के बिल की फोटोकॉपी भी जमा करानी अनिवार्य होती है |


परिणाम 


भारत में किसी भी कंपनी को स्थापित करने में ज्यादा समय नहीं लगता है, पहले उसको पंजीकृत कराने में अधिक समय लगता था | लेकिन वर्तमान समय में ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है | किसी भी कंपनी को पंजीकृत कराए बिना आप उसमें सफल व्यवसाय नहीं कर सकते हैं, इसलिए यदि आप किसी भी कंपनी की नींव रख रहे हैं तो उसके साथ ही उसको पंजीकृत अवश्य करा ले | पंजीकरण के बाद आप भविष्य में जुड़ी समस्याओं का सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं. एक कंपनी एक अकेले इंसान से नहीं बल्कि कंपनी के सभी प्रबंधको के सहयोग से चलाई जाती है | उसी कंपनी को दीर्घकालिक रूप से चलाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान उस कंपनी से जुड़े हुए उपभोक्ता निभाते हैं |



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Monday, 11 March 2019

What is IAS Course in Hindi

March 11, 2019 0
What is IAS Course in Hindi
IAS-Course
आज के पोस्ट में हम आपको बताएंगे की IAS Course क्या होता है, IAS के लिए क्या Eligibility होती है, IAS Course करने के फायदे, IAS का Working Area क्या है, IAS के बाद अनुमानित सैलरी | अगर आप IAS से जुड़े हुए इन्ही सवालों का जबाब खोज रहे है तो ये Post आपके लिए ही है |


What is IAS Course in Hindi
Full Form of IAS---- Indian Administrative Service
IAS को भारतीय समाज में सबसे सम्मानित नौकरी माना जाता है | IAS अधिकारी को Suspend सिर्फ भारत के राष्ट्रपति ही कर सकते है | IAS बनने के ले लिए कुछ Exam को पास करना होता है |
<>IAS का Exam भारत में होने वाली सबसे कठिन Exam में से एक है ये काफी प्रतियोगितात्मक परीक्षा होती है | IAS का Exam Union Public Service Comission के द्वारा Operated किया जाता है |


<>British Government के समय Civil Services के तीन Part थे जैसे की Covenanted, Uncovenanted और Special Civil Services. Covenanted Civil Services, जिसे Honorable East India Company’s Civil Service भी कहा जाता था | इसमें सरकार के Specific Posts पर कार्यरत British Civil Servant शामिल थे |
<>सन 1858 में Honorable East India Company’s Civil Service की जगह Indian Civil Service ने ली | जो सन 1858 से सन 1947 के मध्य British नियम भारत में सबसे High बनाये गये | सन 1946 के Premiere Seminar मे तत्कालीन केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ICS और IPS के आधार पर IAS को Build करने का निर्णय लिया था |

Qualifications for becoming IAS
IAS बनने के लिए अभ्यर्थियों को किसी भी विषय में मान्यता-प्राप्त विश्वविद्यालय से Graduation की Degree प्राप्त करनी होगी | जो उम्मीदवार Graduation के Last Year में है वह भी इस परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं | किसी भी व्यावसायिक और तकनीकी जैसे एम बी बी एस, बीटेक, एग्रीकल्चर व कंप्यूटर आदि Degree धारक भी इस परीक्षा में आवेदन कर सकते हैं |

<>सामान्य- एक उम्मीदवार के लिए अधिकतम उम्र 32 वर्ष होनी चाहिए
<>ओबीसी- उम्मीदवार के लिए अधिकतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए
<>अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति- एक उम्मीदवार के लिए अधिकतम उम्र 37 वर्ष होनी चाहिए
<>भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा के लिए, उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए

IAS की परीक्षा में कितने बार शामिल हो सकते हैं
अब हम बात करते है कि IAS की परीक्षा में कितनी बार शामिल हो सकते हैं | जो उम्मीदवार General Category के अंदर आते है वो इस परीक्षा 6 बार Apply कर सकते है OBC Category वाले इसमें 9 बार Apply कर सकते है और SC ST के लिए कोई Condition नहीं है | यह सभी Same Condition जम्‍मू और कश्‍मीर वालों के लिए है | हालांकि जो डिसेबल, डेफ और ब्‍लाइंड हैं उनके General वालों के लिए 9 Attempt और SC ST के लिए Unlimited Attempt कर सकते है |


Salary of  IAS Officer
IAS अधिकारी के वेतन की बात करें तो ये विभिन्न संरचनाओं के आधार पर होता है, जैसे कि जूनियर स्केल, सीनियर स्केल, सुपर टाइम स्केल, वेतनमानों में अलग-अलग वेतन बैंड होते हैं | IAS अधिकारी भी एचआरए मूल या आधिकारिक आवास का 40 प्रतिशत के हकदार होता है | साथ ही उन्हें डीए, टीए भी मिलता है. इसमें कैबिनेट सेकेट्री, अपेक्स, सुपर टाइम स्केल के आधार पर सैलरी बढ़ती जाती है |


How to become IAS Officer--IAS अधिकारी कैसे बनें
IAS की परीक्षा भारत की सबसे Competitive परीक्षा है इसे पास करना कोई आसान बात नहीं है | IAS की तैयारी करने में लोगों को सालों लग जाते हैं और कुछ लोग तो स्नातक होने के साथ साथ ही IAS की तैयारी शुरू कर देते हैं | IAS की परीक्षा पास करने के लिए Students को अच्छी तैयारी करनी पड़ती है और Day Night एक करके पूरी मेहनत से Study करनी होती है तब ही Student IAS में सफल हो पाते हैं | IAS बनने के लिए आपको UPSC Civil Services Examination को पास करना होता है | यह परीक्षा 3 Steps में बांटी गयी है –
<>preliminary examination
<>Main examination
<>Interview section


<>सबसे पहले Students को प्रारंभिक परीक्षा पास करनी होती है | इस परीक्षा को पास करने के लिए भी बहुत ज्यादा कठिन मेहनत की जरुरत है | जो Student इसे पास कर लेते हैं उन्हें मुख्य परीक्षा के लिए चुन लिया जाता है |
<>मुख्य परीक्षा के आंकड़ों के अनुसार, मुख्य परीक्षा में बैठने वाले कुल Students में से केवल 1% Student ही इसमें पास हो पाते हैं |
<>अब मुख्य परीक्षा पास कर चुके Students को Interview के लिए बुलाया जाता है | जो उम्मीदवार Interview में पास होते हैं वे IAS पद के लिए चुन लिए जाते हैं |


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What is CS Course in Hindi

March 11, 2019 0
What is CS Course in Hindi 
CS-Course
आज के पोस्ट में हम आपको बताएंगे की CS Course क्या होता है, CS के लिए क्या Eligibility होती है, CS Course करने के फायदे, CS का Working Area क्या है, CS कोर्स के बाद अनुमानित सैलरी | अगर आप CS से जुड़े हुए इन्ही सवालों का जबाब खोज रहे है तो ये Post आपके लिए ही है |


What is CS Course in Hindi 
Full Form of CS----Computer Science
Computer Science Engineering एक ऐसा Course है जिनमें आज Students का रुझान सबसे अधिक है | इसमें Computer से सम्बंधित हर Problem का निवारण किया जाता है | इसमें नए-नए Computer Operating System अधिक से अधिक User Friendly Software का विकास किया जाता है | Computer Science एवं Engineering में कई Student अपना Career बनाना चाहते हैं | इस क्षेत्र में कई बहुत Option होते है जैसे कि Computer एवं Engineering Information Technology, Electrical और Electronics Engineering, Software Design, Hardware System आदि |


Work of Computer Engineer
Hardware Engineer
Hardware Engineer को Computer के सभी Parts की जानकारी होना जरूरी है | Software Installation की जानकारी Parts Repairing, Computer का रखरखाव और Computer के साथ जुड़ी चीजों की जानकारी जैसे Printer, CPU, Modem आदि की जानकारी होनी चाहिए |
Software Engineer
यह Software की Programming और Designing करते है. Computer में Installs किए जाने वाले Softwares को Software Engineer ही बनाते हैं | किसी भी Software के Development, Operation और Maintenance का काम Software Engineering के अंतर्गत आता है | इसके अलावा इसमें Software Requirements, Construction और Software Testing भी शामिल किए जाते हैं |
Educational Qualification for Computer Engineering
Computer Engineer बनने के लिए उम्‍मीदवार कम से कम बारहवी पास होना चाहिए | इसके बाद आप Computer Engineering में दाखिला ले सकते हैं | Computer Engineering में Admission PCM के Marks के आधार पर किया जाता है. आज के समय में Computer का चलन हो गया है | इसी कारण कई Student इस क्षेत्र में करियर बनाने का प्रयास करते हैं | Computer Science एवं Engineering के बीच सबसे लोकप्रिय Branch हैं |


12वीं पास करने के बाद Computer Science में Career बनाने के लिए आप अपने Interest के हिसाब से पसंद के कोर्स में Admission ले सकते हैं | इसमें Admission के लिए पीसीएम (फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथ्स) के मार्क्स देखे जाते हैं | 12वीं क्लास में Computer Science पढ़ चुके Students को कई College Admission की शर्तों में छूट भी देते हैं | Graduation Level पर B.Tech इन Computer Science, B.Tech in IT, BCA जैसे Courses कर सकते हैं |
Computer Engineering is based on two topics.
<>Hardware
<>Software
Course for Computer Science Engineering
<>Diploma in Computer Science and Technology
<>Diploma in Computer Science and Engineering
<>Post Graduate Diploma in Computer Networking
<>Bachelor of Engineering in Computer Engineering
<>Master of Engineering in Computer Engineering
<>Master of Engineering in Computer Science and Engineering
<>Bachelor of Engineering in Computer Science and Engineering


Pay in Computer Science Engineer Area
Computer Engineering Course करने के बाद आप नौकरी कर सकते है | इसमेंआपको नौकरी के लिए कई Option मिल जाते हैं. इस क्षेत्र में शुरुआत में Fresher को लगभग 30 हजार रुपये सैलरी प्रति माह मिल जाती हैं | इसके बाद जैसे-जैसे आपका अनुभव बढ़ता है तो आपकी सैलरी भी बढ़ जाती है |
Employment opportunities after becoming Computer Science Engineering
Computer Engineering करने के बाद इस क्षेत्र में नौकरी के कई Option होते है | आप Website Development, Website Applications, Computer Graphics, Video Games, Embedded Systems, Network Administration, Mobile Applications, Computer Security, Data Base System जैसे क्षेत्रों में कैरियर बना सकते हैं |


Top Computer Science Colleges in India
Indian Institute of Technology Bombay (IIT Bombay)
Indian Institute of Technology Delhi (IIT Delhi)
Indian Institute of Technology Kanpur (IIT Kanpur)
Indian Institute of Technology Madras (IIT Madras)
Indian Institute of Technology Roorkee (IIT Roorkee)
Birla Institute of Technology and Science (BITS-Pilani)
Indian Institute of Technology Guwahati (IIT Guwahati)
National Institute of Technology (NIT), Tiruchirappalli
Birla Institute of Technology, Patna


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What is BHMS Course in Hindi

March 11, 2019 0
What is BHMS Course in Hindi
BHMS-Course
आज के पोस्ट में हम आपको बताएंगे की BHMS Course क्या होता है, BHMS के लिए क्या Eligibility होती है, BHMS Course करने के फायदे, BHMS का Working Area क्या है, BHMS कोर्स के बाद अनुमानित सैलरी | अगर आप BHMS से जुड़े हुए इन्ही सवालों का जबाब खोज रहे है तो ये Post आपके लिए ही है |


What is BHMS Course in Hindi
Full Form of BHMS ----Bachelor of Homeopathic Medicine and Surgery
BHMS एक Undergraduate Homeopathic Medical Course है | होम्योपैथी चिकित्सा की एक समग्र प्रणाली है जो कि मुख्य रूप से टैबलेट के रूप में दिए गए अत्यधिक पतला पदार्थों के साथ व्यक्ति के उपचार पर आधारित है जो शरीर की प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली को ट्रिगर करता है | BHMS कोर्स की अवधि पांच वर्ष होती है जिसमें एक इंटर्नशिप शामिल है | एक समग्र वैकल्पिक चिकित्सा की Degree के रूप में Homeopathic Medicine और Surgery की Degree Bachelor of Homeopathic औषधीय प्रणाली का बुनियादी और गहन ज्ञान प्रदान करता है | Homeopathic Medicine और Surgery के स्नातक भी पत्राचार के माध्यम से या दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से पीछा किया जा सकता है |


Eligibility for BHMS
एक छात्र जो मुख्य Subjects के रूप में Physics, Chemistry और Biology के साथ 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण कर चुका है वह BHMS मे प्रवेश लेने योग्य है | BHMS मे प्रवेश Merit पर आधारित होता है | MBBS, BDS और BHMS Courses के लिए विभिन्न Joint Entrance Exams भी होते है | इस कोर्स मे शामिल Subjects Homeopathic Pharmacy, Homeopathic Material Medica, Homeopathic Philosophy, Bio-Chemistry, Homeopathic Repertory, Medicine का अभ्यास आदि शामिल होता है |
Specialization in BHMS
इस कोर्स को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, कोई भी Homeopathic मे विशेषज्ञता का पीछा कर सकता है | Homeopathic जैसे Pediatrics, Infertility, Psychotherapy, Dermatologist आदि में विशेषज्ञता के लिए कई विकल्प होते है |


BHMS Syllabus
BHMS I
<>Organon of Medicine, Principles of Homoeopathic Philosophy and Psychology
<>Anatomy, Histology and Embryology
<>Physiology including Biochemistry
<>Homoeopathic Pharmacy
<>Homoeopathic Materia Medical
BHMS II
<>Pathology and Microbiology including Parasitology Bacteriology and Virology
<>Forensic Medicine & Toxicology
<>Organon of Medicine and Principles of Homoeopathic Philosophy
<>Homoeopathic Materia Medical
<>Surgery including ENT, Eye Dental and Homoeo therapeutics.
<>Obstetrics & Gynaecology Infant care and Homoeo therapeutics
<>Practice of Medicine and Homoeo. Therapeutics
BHMS III
<>Practice of Medicine & Homoeo therapeutics
<>Surgery including ENT, Ophthalmology & dental & Homoeo. therapeutics
<>Obstetrics & Gynaecology Infant care & Homoeo. therapeutics
<>Homoeopathic Materia Medical
<>Organon of Medicine
BHMS IV
<>Practice of Medicine & Homoeo therapeutics
<>Homoeopathic Materia Medical
<>Organon of Medicine
<>Repertory
<>Community Medicine


BHMS Popular Colleges
<>Nehru Homoeopathic Medical College, New Delhi
<>Calcutta Homeopathic Medical College, Calcutta
<>Father Muller Homeopathic Medical College, Karnataka
<>Bakson Homeopathy Medical College and Hospital, Greater Noida
<>Venkateswara Homoeopathy Medical College and Hospital, Chennai
<>Smt. Chandaben Mohanbhai Patel Homoeopathic Medical College, Mumbai
<>Shri Sairam Homeopathic Medical College and Research Centre, Chennai
BHMS Entrance Exams
<>NIH BHMS Entrance Exam
<>PU CET (BHMS) Entrance Test
<>UP BHMS - Common Entrance Test
<>National Eligibility cum Entrance Test (NEET)


Benefits of doing BHMS
BHMS कोर्स करने के बाद छात्रों को अनेक फायदे होते हैं | आज के समय में होम्‍योपैथी का क्षेत्र बहुत बड़ा हो गया है इसलिए इस क्षेत्र में अनेक रोजगार मिल जाते हैं | BHMS में कई कोर्स कराये जाते हैं जिससे छात्र को इस क्षेत्र से जुडी हर जानकारी हो जाती है | इसके बाद छात्र इस क्षेत्र में डॉक्टर, प्राइवेट प्रैक्टिस, पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट्स, टीचर्स, रिसर्चेस, कंसलटेंट, फार्मासिस्ट, आदि पोस्ट में जॉब कर सकते हैं |
Employment sector after BHMS
BHMS कोर्स करने के बाद आप आसानी से सरकारी अस्पतालों, निजी अस्पतालों, बीमा कंपनियों, एनजीओ, दवा कंपनियों, अनुसंधान प्रयोगशालाओ आदि मे नौकरी पा सकते है | BHMS कोर्स करने के बाद कुछ सामान्य रोजगार के क्षेत्र नीचे दिए गए है |
<>Pharmacist
<>Junior Lecturer
<>Insurance Officer
<>Research Associate
<>Homeopathic Doctor
<>Homeopathic Consultant
<>Quality Control Officer


Job Profiles after BHMS
<>Doctor
<>Lecturer
<>Consultant
<>Scientist
<>Therapist
<>Pharmacist
<>Spa director
<>Private practice
<>Medical assistant
<>Public Health Specialist


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What is PCS Course in Hindi

March 11, 2019 0
What is PCS Course in Hindi
PCS-Course
आज के पोस्ट में हम आपको बताएंगे की PCS Course क्या होता है, PCS के लिए क्या Eligibility होती है, PCS Course करने के फायदे, PCS का Working Area क्या है, PCS कोर्स के बाद अनुमानित सैलरी | अगर आप PCS से जुड़े हुए इन्ही सवालों का जबाब खोज रहे है तो ये Post आपके लिए ही है |



What is PCS Course in Hindi
Full Form of PCS -----Provincial Civil Service 
PCS परीक्षा का आयोजन Uttar Pradesh Public Service Commission द्वारा किया जाता है इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करनें के पश्चात, अभ्यर्थी को SDM, DSP, ARTO, BDO, District Minority Officer, District Food Marketing Officer, Assistant Commissioner व्यापार कर समेत विभिन्न विभागों में उच्च पदों पर नियुक्ति प्राप्त होती है |



PCS के पदों की परीक्षा State Level पर की जाती है जहां उस राज्य के निवासियों को केवल प्रवेश परीक्षा में उपस्थित होने की अनुमति दी जाती है | अन्य राज्य मे अभ्यर्थी के लिए कुछ Reserved Seats होती है | राज्य सीटों के भीतर सीटों का भी Reservation है | इसके अलावा इस परीक्षा के संचालन के तरीके Civil Services के समान ही होते है | इसमे सेलेक्शन के तीन अलग अलग Steps होते है |
preliminary examination
Main examination
Interview



Preliminary examination-प्रारंभिक परीक्ष
इसमें दो परीक्षा होते है | पहली परीक्षा में कुल 150 प्रश्न आते है और ये कुल 200 अंक का होता है और इसकी Timeline 2 घंटे कि होती है | दुसरे Paper मे कुल 100 प्रश्न आते है और ये कुल 200 अंक का होता है यानि हर एक प्रश्न 2 अंक का होता है और इसकी Timeline 2 घंटे कि होती है |
Main examination
इसमें कुल 8 पेपर होते है जिनमे से 4 अनिवार्य तथा 4 वैकल्पिक विषय होते है |
Compulsory subject
सामान्य अध्ययन पेपर 1- 200 Marks, 2 Hours
सामान्य अध्ययन पेपर 2- 200 Marks, 2 Hours
सामान्य हिंदी- 150 Marks, 3 Hours
निबंध- 150 Marks, 3 Hours
Optional Subject
Agriculture
Agricultural Engineering
Animal Husbandry
Zoology
Botany
Psychology
Physics
Chemistry
Mathematics
Sociology
Economics
History
Geography
Philosophy
Public Administration
Geology
Law
Statistics
Management
Political Science
Social Work
Anthropology
Civil Engineering
Electrical Engineering
Mechanical Engineering
Commerce & Accountancy



Interview
Interview के कुल 200 मार्क होते है | इसमे आपका Interest, Academic Background के विषय में पूछा जा सकता है और सामान्य जागरूकता , बुद्धि, वाक्पटुता, चरित्र, अभिव्यक्ति शक्ति व्यक्तित्व की जाँच की जाती है |
Syllabus for PCS Exam  
Agriculture
Economy
Geography
Environment
Constitution
General Science
Indian History
State Special
Currents Affair
State Study Related



Educational Qualifications for PCS
PCS परीक्षा में सम्मिलित होनें के लिए अभ्यर्थी को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से सनातक की डिग्री का होना आवश्यक है |
Salary for PCS Officer 
PCS अधिकारी को वेतन के रूप में 15600 से 67000 रूपए प्राप्त होते है | इसके अतिरिक्त निवास हेतु सरकारी भवन, वाहन तथा आवश्यकतानुसार कर्मचारी प्राप्त होते है |
Age criteria for PCS
PCS परीक्षा में सम्मिलित होनें वाले अभ्यर्थी की आयु 21 वर्ष से 40 वर्ष के बीच होना आवश्यक है तथा आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को नियमनुसार छूट प्रदान की जाएगी |



PCS Exam Fee
PCS-Exam-Fee


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Saturday, 9 March 2019

What is B.Com Course in Hindi

March 09, 2019 0
What is B.Com Course in Hindi
B.Com-Course
आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे की B.Com Course क्या होता है, B.Com के लिए क्या Eligibility होती है, B.Com Course करने के फायदे, B.Com का Working Area क्या है, B.Com कोर्स के बाद अनुमानित सैलरी | अगर आप B.Com से जुड़े हुए इन्ही सवालों का जबाब खोज रहे है तो ये Post आपके लिए ही है | 

What is B.Com Course in Hindi

Full Form of B.Com----- Bachelor of Commerce
B.Com Course को Full Time Graduate Course या Part Time Graduate Course के रूप में किया जा सकता है यानी किसी की पसंद के आधार पर पत्राचार या दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से. B.Com इस मायने में सामान्य है कि इसमें सब्जेक्ट स्पेसिफिक नहीं है और व्यक्ति 1-2 कम्पलसरी सब्जेक्ट्स के अलावा इसमें कई सब्जेक्ट चुन सकता है | ये संयोजन संस्थान से संस्थान में भिन्न होते हैं. B.Com Course आमतौर पर तीन साल का होता हैं | B.Com की डिग्री प्राप्त करने वाले व्यक्ति को 5-7 विषयों का अध्ययन करने की आवश्यकता होती है. विभिन्न संस्थानों में विकल्पों की उपलब्धता के आधार पर विभिन्न संयोजनों का विकल्प चुन सकते हैं | 

वे उम्मीदवार जो 3 साल में इसे क्लियर नहीं कर पाए वे किसी संस्थान की शिक्षा नीति के आधार पर कुछ वर्षों में इसे क्लियर कर सकते हैं | अधिकांश संस्थान 2 वर्ष में किसी एक के प्रदर्शन या पसंद के आधार पर वैकल्पिक विषय बदल देते हैं | कुछ संस्थान संस्थान के नियमों और विनियमों की पूर्ति के आधार पर दूसरे संस्थान से प्रथम या द्वितीय वर्ष उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को मानते हैं | 

B.Com उन लोगों के लिए दूसरा सबसे पसंदीदा विकल्प माना जाता है जो विज्ञान में प्रवेश पाने में सक्षम नहीं हैं और जो सोचते हैं कि Arts Degree Commerce Course के समान है. एक क्षेत्र में उम्मीदवारों को प्रशिक्षित करने के लिए कई अलग-अलग विषयों में B.Com Course की पेशकश की जाती है | B.Com के एक क्षेत्र में Managerial Skills और क्षमता की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ छात्रों को प्रदान करता है | यह छात्रों को Accounting Principles, Exports और Import Laws, Economic Policies और Business को प्रभावित करने वाले अन्य पहलुओं के ज्ञान से लैस करता है | 

What is B.Com Course in Hindi

Subjects in B.Com 
B.Com मुख्य रूप से Accounts, Economics और Mathematics पर फोकस करता है | विभिन्न Colleges और Universities में पढ़ाए गए B.Com Subjects की सूची आप नीचे देख सकते है | 
<>Business Law
<>Economics
<>Corporate Accounting
<>Cost Accounting
<>Financial Accounting
<>Business Mathematics
<>Business Management
<>Computer Fundamentals
<>Financial Ratios

Eligibility for B.Com Course 
B.Com मे प्रवेश लेने के लिए 12th में 55% से पास होना आवश्यक है | 10th के बाद 2 या 3 साल का Diploma Course किए हुए Candidate भी इस को कर सकते है | B.Com Course करने में आपका 2 Lakh से 5 lakh तक का खर्चा आ सकता है | भारत मे कुछ लोकप्रिय B.com Colleges के नाम की सूची आप नीचे देख सकते है | 
<>Shri Ram College of Commerce, Delhi
<>Hindu College, Delhi
<>Hans Raj College, Delhi
<>Ramjas College, Delhi
<>St. Stephens College, Delhi
<>Miranda House College, Delhi
<>Indraprastha College for Women, Delhi
<>Madras Christian College, Chennai
<>Christ University, Bangalore
<>Goenka College of Commerce and Business Administration, Kolkata
B.Com Fees
<>Government College : अगर आप किसी Government College से B.Com करते हैं तो आपको तक़रीबन 5-7 हजार प्रतिवर्ष देने होंगे | क्योंकि B.Com Technical Course हैं तो इसके लिए आपको College के आलावा अन्य Coaching Class या Programming Class Join करना पड़ सकता हैं | 
<>Private College : अगर आप Private College में Admission लेते हैं तो Government College की तुलना में आपको काफी ज्यादा Fees Pay करना होगी | इसमें आपको तक़रीबन 10-25 हजार प्रति Semester देने पड़ सकते हैं | 

Syllabus for B.Com 
First Year 
<>Major Indian Language
<>Communicative English
<>Financial Accounting I
<>Business Regulatory Framework
<>Principle and Practice of Management and Business
<>Communication
<>Economics
Second Year 
<>Information Technology and its Application in Business
<>Principles of Marketing
<>Financial Accounting II
<>Direct and Indirect Taxation
<>Cost and Management Accounting I
<>Auditing
Third Year 
A-----Elective Group: Accounting & Finance
<>Financial Accounting
<>Cost and Management Accounting
<>Financial Management
<>Environmental Studies
B-----Elective Group: Marketing
<>Consumer Behaviour and Sales Management
<>Product and Price Management and Rural Marketing
<>Retail Management and Marketing of Services
<>Environmental Studies
C-----Elective Group: Taxation
<>Direct Tax: Laws and Practices
<>Indirect Tax: Laws and Practices
<>Text Planning and Procedures
<>Environmental Studies
D-----Elective Group: Computer Applications and e-business
<>Fundamentals of Computer
<>Data Communication and Networking and Financial e-business
<>Computer Applications and e-business Applications (practical)
<>Environmental Studies

Popular B.Com Colleges for Correspondence
B.Com कोर्स को जो छात्र Regular Mode के तहत करने में सक्षम नही है वे इस कोर्स को Correspondence Mode के तहत पूरा कर सकते है | भारत मे कुछ University जो Correspondence Mode के तहत B.Com की पेशकश करते है |नीचे दिए गए है | 
<>Allahabad University
<>Annamalai University
<>Jamia Millia University
<>Bangalore University
<>Indira Gandhi National Open University (IGNOU)
<>School of Open Learning, University of Delhi
Entrance Exams for B.Com 
कुछ University और College इस कोर्स के लिए अपनी अलग प्रवेश परीक्षा आयोजित करते है | ऐसे कुछ College और University के नाम नीचे दिए गए है |
<>Jamia Milia Islamia University, Delhi
<>Banaras Hindu University (BHU), Varanasi
<>Guru Gobind Singh Indraprastha University, Delhi
<>Narsee Monjee Institute of Management Studies (NMIMS), Mumbai

Job Profiles for B.com
B.com की Degree पूरी करने के बाद B.com छात्रों के लिए बहुत सारे नौकरी के अवसर मिलते है | वे निजी और सरकारी दोनो क्षेत्रो में भूमिकाओं की एक Wide Range कर सकते है | B.com छात्रो के लिए कुछ सामान्य नौकरी प्रोफाइल के नाम की सूची आप नीचे देख सकते है | 
<>Accountant
<>Auditor
<>Business Analyst
<>Business Consultant
<>Finance Officer
<>Sales Analyst
<>Stock Broker
<>Economist
Estimated salary after B.Com
भारत में एक B.Com Fresher के रूप में आपको प्रति माह 14,000-20,000 रुपये की सीमा में न्यूनतम सैलरी प्राप्त हो सकती है | सबसे अधिक मांग वाले Commerce Graduates को निजी संगठनों में प्रवेश स्तर के सबसे अधिक पदों के लिए प्रति माह 25,000 से 45,000 रुपये सैलरी मिल सकती है |

Benefits of B.Com
<>B.Com करने के बाद आप Marketing, Accounting, Office Assistant आदि जैसे Private Job कर सकते हैं | 
<>B.Com Complet के बाद आप उच्च शिक्षा प्राप्त करके अच्छी नौकरी चाहते हैं तो आप M.Com, MBA कर सकते हैं | 
<>B.Com के बाद M.Com की पढ़ाई करके आप उसके बाद CA, BAT आदि कर सकते हैं | 
<>B.Com अगर आप अच्छे College से किए हैं तो आपको किसी Company में Job करने पर भी अच्छी Salary मिल सकती है | 
<>B.Com से Graduation के बाद आप बहुत से प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे SSC इत्यादि का Exam दे सकते हैं | 
<>B.Com में अच्छी पढ़ाई करने के बाद आए आप IBPS का Exam देकर Banking के क्षेत्र में अपना Career बना सकते हैं | 

Top 10 B.com Colleges in India
<>Shri Ram College of Commerce Delhi/NCR
<>Loyola College (LC, Chennai) Chennai
<>Lady Shri Ram College for Women Delhi/NCR
<>St. Xavier’s College (SXC Kolkata) Kolkata
<>Hindu College Delhi/NCR
<>Christ University Bangalore
<>Hans Raj College Delhi/NCR
<>Madras Christian College Chennai
<>Ethiraj College for Women (Ethiraj) Chennai
<>Narsee Monjee College of Commerce and Economics Mumbai
B.Com Specializations
<>Accounts and Finance
<>E-Commerce
<>Investment Management
<>Banking and Insurance
<>Financial Market
<>Human Resources
<>Information Management
<>Foreign Trade
<>Office Management
Employment areas after B.Com
<>Banks
<>Budget Planning Bodies
<>Business Consultancies
<>Educational Institutes
<>Foreign Trade Centres
<>Industrial Houses
<>Investment Banking Sectors
<>Marketing Companies
<>Merchant Banking Centres
<>Public Accounting Firms
<>Working Capital Management
<>Policy Planning Bodies
<>Public Accounting Firms
<>Treasury and Forex Departments

Job Profiles after B.Com
<>Auditor
<>Budget Analyst
<>Business Consultant
<>Cost Estimator
<>Finance Manager
<>Financial Analyst
<>Stock Broker
<>Chief Financial Officer
<>Certified Public Accountant
<>Chartered Management Accountant
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