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Saturday, 2 February 2019

How to Work of Operating System in Hindi

February 02, 2019 0
How to Work of Operating System in Hindi
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आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे की Operating System work कैसे करता है | ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के रिसोर्सेज जैसे कंप्यूटर की मेमोरी, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट, हार्ड डिस्क या के अन्य सॉफ्टवेयर को कंट्रोल करता है यह ऐसा पहला प्रोग्राम है जो कंप्यूटर के स्विच ऑन होने के बाद रूम से कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी में लोड होता है यह प्रक्रिया बूटिंग (Booting) कहलाती है ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर और हार्डवेयर के बीच एक इंटरफेस प्रदान करता है जिससे यूजर कंप्यूटर के सभी हार्डवेयर रिसार्सेज उपयोग कर पाता है | 


ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्यों को इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है | 
  • रिसोर्स मैनेजमेंट 
  • प्रोसेस मैनेजमेंट 
  • डाटा मैनेजमेंट 
  • सिक्योरिटी मैनेजमेंट
  • टाइम शेयरिंग  
How to Work of Operating System in Hindi


1. रिसोर्सेज मैनेजमेंट के अंतर्गत 4 मैनेजमेंट होता है :------

प्रोसेसर मैनेजमेंट :-------प्रोसेसर यानी कंट्रोल प्रोसेसिंग यूनिट जब आपके कंप्यूटर में कोई प्रोग्राम रन होता है तो आपके सिस्टम रिसोर्सेज का इस्तेमाल करता है सिस्टम रिसोर्सेज में आपके कंप्यूटर का प्रोसेसर (Processor), रैम (Ram) तथा हार्ड डिस्‍क (hard disk) का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है कि जब आप कोई प्रोग्राम रन करते हैं तभी आपके रिसोर्सेज का इस्तेमाल किया जाता है अगर आप अपना टास्क मैनेजर बिना कोई प्रोग्राम रन किये ओपन करेंगे तो आपको वहां पर ढेर सारे प्रोग्राम चलते हुए मिल जाएंगे अब किस प्रोग्राम को कितना प्रोसेसर (Processor) मिलेगा और कितने समय के लिए दिया जाएगा यह सब आपका ऑपरेटिंग सिस्टम ही तय करता है  जब आप कंप्यूटर में कोई प्रोग्राम रन करते हैं तो ऑपरेटिंग सिस्टम उसे निर्धारित मात्रा में और निर्धारित समय के लिए उसे  प्रोसेसर प्रदान करता है और प्रोग्राम के बंद होने के साथ ही आपके प्रोसेसर को फ्री कर देता है अगर वह ऐसा नहीं करेगा तो आपके प्रोसेसर का 100% यूज़ होना शुरू हो जाएगा और आपका कंप्यूटर हैंग हो जाएगा | 

मेमोरी मैनेजमेंट :-------कम्पयूटर सिस्टम में किसी भी ऑपरेशन को संपादित करने में मेन-मेमोरी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है कंप्‍यूटर की संरचना के अनुसार मेमोरी (Memory) कंप्यूटर का वह भाग है यूजर द्वारा इनपुट किये डाटा और प्रोसेस डाटा को संगृहीत करती है, मेमोरी (Memory) में डाटा, सूचना, एवं प्रोग्राम प्रक्रिया के दौरान उपस्थित रहते है और आवश्यकता पड़ने पर तत्काल उपलब्ध रहते है CPU मेन-मेमोरी से सीधे डेटा रीड/राइट करता है।


ऑपरेटिंग सिस्टम :-------इसमें यह ध्‍यान रखता है कि वर्तमान में मेमोरी का कौन सा हिस्सा किस प्रोसेस द्वारा उपयोग हो रहा है तथा जब प्रोग्राम टरमिनेट होता है, तो मेन-मैमोरी का स्पेस खाली हो जाता है,जो अगले प्रोग्राम के लिए उपलब्ध होता है मेमोरी स्पेस उपल्ब्ध होने पर यह निर्णय लेना कि मेमोरी में किन प्रोसेस को लोड किया जाएगा इसकी जिम्‍मेदारी भी ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) की होती है | 

डिवाइस मैनेजमेंट :--------ऑपरेटिंग सिस्टम इनपुट और आउटपुट मैनेजमेंट के कार्य को भी संपादित करता है एवं आपके कंप्यूटर से जुड़े हुए विभिन्न इनपुट डिवाइस (Output Device) और आउटपुट डिवाइस (Output Device) को आपस में को-आर्डिनेट करता है साथ ही उनको कार्य भी सौंपता है | जब आप एमएस वर्ड में कीबोर्ड से कंट्रोल की दबाकर प्रिंट कमांड देते हैं तो ऑपरेटिंग सिस्टम कीबोर्ड से इनपुट लेता है और प्रिंटर को आउटपुट कमांड देता है | 

2. प्रोसेस मैनेजमेंट के अंतर्गत 2 मैनेजमेंट आता है :--------

जॉब शेड्यूलिंग :---------आप कंप्यूटर में एक के बाद एक कई सारे काम करते हैं या सॉफ्टवेयर भी कई सारे चरणों में कार्य करता है तो आपका ऑपरेटिंग सिस्टम ही डिसाइड करता है कि प्रोसेसर को किस तरह से शेडूल किया जाएगा पहले किस काम में उसको लगाया जाएगा और काम खत्म होने के बाद फिर उसे दूसरा काम सौंप दिया जाता है | 

टास्‍क मैनेजमेंट :---------ऑपरेटिंग सिस्टम यह भी देखता है एक कौन-कौन सी एप्लीकेशन बैकग्राउंड में रन कर रही है किन एप्लीकेशंस को प्राथमिकता देनी है और किन एप्लीकेशन को स्‍टॉप करना है यह सारे कार्य टास्क मैनेजमेंट के अंतर्गत किए जाते हैं | 


3. डाटा मैनेजमेंट या फाइल मैनेजमेंट :-------इसका तात्पर्य उन्हीं फाइलों से है जो आप अपने कंप्यूटर में एमएस वर्ड एक्सेल पावर पॉइंट इत्यादि में बनाते हैं यह सूचनाओं का पूरा कलेक्शन होता है और इसे यूज़र द्वारा बनाया जाता है यह फाइल कंप्यूटर की सेकेंडरी मेमोरी में स्टोर रहती है और इन सभी फाइलों का एक नाम होता है जिससे आप उसे कंप्यूटर में खोज सकते हैं इन फाइलों को कंप्यूटर के सेकेंडरी स्टोरेज में डायरेक्टरी में सेव किया जाता है यह डायरेक्टरी आम भाषा में फोल्डर (Folder) होते हैं और हर फाइल की अपनी प्रॉपर्टी होती है जिससे आप यह पता लगा सकते हैं कि वह फाइल किस प्रकार की है और कितना स्पेस कवर करती है ऑपरेटिंग सिस्टम में फाइल मैनेजमेंट के अंतर्गत आप फाइल को क्रिएट कर सकते हैं उसे डिलीट कर सकते हैं फोल्डर को क्रिएट कर सकते हैं उसे डिलीट कर सकते हैं फाइल को रिमूव कर सकते हैं फाइल का बैकअप ले सकते हैं और फाइल का पाथ सेट कर सकते हैं पाथ से तात्पर्य है कि फाइल आपके कंप्यूटर के किस हिस्से में सेव है वहां का एड्रेस फाइल पाथ कहलाता है | 

4. सिक्योरिटी मैनेजमेंट :-------ऑपरेटिंग सिस्टम आपके कंप्यूटर के सभी प्रोग्राम्स के बीच डाटा सिक्योरिटी और अखंडता भी रखता है  वह कंप्यूटर में स्टोर होने वाले सभी प्रकार के डाटा और प्रोग्राम को इस प्रकार से अलग-अलग रखता है कि वह एक दूसरे के बीच मिक्स ना हो जाए इसके अलावा ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर सिक्योरिटी भी होती है जिससे कोई भी व्यक्ति आपके डेटा को नष्ट ना कर पाए इस तरह से ऑपरेटिंग सिस्टम आपकी कंप्यूटर की सिक्योरिटी को भी मैनेज करता है | 

5. टाइम शेयरिंग :-------ऑपरेटिंग सिस्टम कम्पाइलर, असेम्बलर और यूटिलिटी प्रोग्राम के अलावा अन्य सॉफ्टवेयर पैकेज को कंप्यूटर पर काम करने वाले अलग-अलग यूजर्स के लिए असाइन करता है और कोआर्डिनेट करता है यानी यह कंप्यूटर सिस्टम और कंप्यूटर ऑपरेटर के बीच कम्युनिकेशन को आसान बनाता है |


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