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Saturday, 27 March 2021

Hardware Store शुरू कैसे करें-Hardware Shop

March 27, 2021 0

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हार्डवेयर- Hardware Store

हार्डवेयर की दुकान शुरू करने से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

हार्डवेयर की दुकान भी अन्य तरह की दुकानों जैसी होती है और इस प्रकार की दुकान के जरिए हार्डवेयर की चीजें ग्राहकों को बेची जाती हैं | किसी भी प्रकार की दुकान खोलने से पहले आपको उस दुकान के जरिए बेचे जाने वाले सामान के बारे में सही से जानकारी होना जरूरी हैं | इसी तरह से अगर आप हार्डवेयर की दुकान खोलते हैं, तो आपको इस दुकान के जरिए बेचे जाने वाले हर सामान के बारे में अच्छे से पता होना चाहिए | जैसे कि हार्डवेयर की दुकान के जरिए कौन से सामान बेचे जाते हैं और इन सामानों का इस्तेमाल किन चीजों के लिए होता है | 

हार्डवेयर के अंतर्गत आने वाले सामान 

हार्डवेयर के अंतर्गत कई तरह के सामान आते हैं और इन सामानों का इस्तेमाल विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है। चेन, रस्सी, स्टेपल, तार, स्क्रू, पाइप, अलग-अलग प्रकार के हथोड़े, कील, पटला, टैप और इत्यादि हार्डवेयर के सामान होते हैं, जिनका उपयोग, कारपेंटर, मैकेनिक, घर बनाने वाले मिस्त्री द्वारा अधिक किया जाता है। आप जब अपने हार्डवेयर की दुकान खोलें, तो केवल उन्हीं हार्यवेयर के सामानों को शुरू में खरीद कर खरीदें, जिनकी मांग अधिक रहती है और साथ में ही जिन पर आपको अधिक मुनाफा भी मिल सके। वहीं जब एक बार आपकी दुकान अच्छी से चलने लगी तो आप अन्य हार्डवेयर के सामानों को भी खरीद कर बेच सकते हैं।

कौन खोल सकता है हार्डवेयर स्टोर 

अगर आपको हार्डवेयर के सामानों के बारे में जानकारी है और आपकी रूचि इन सामानों को बेचने में है, तो ही आप इस स्टोर को खोले। क्योंकि इन सामानों की जानकारी ना होने पर इन सामानों को खरीदने और बेचने में आपको काफी कठिनाई होगी।

कौशल और अनुभव क्या हैं

हार्डवेयर की दुकान खोलने के लिए किसी भी प्रकार की डिग्री की जरूरत नहीं है। आपको बस ये पता होना चाहिए की हार्डवेयर के सामानों को किस तरह से रखा जाता है और इन सामानों का इस्तेमाल किन कार्यों के लिए किया जाता है। अगर आपके पास इन सामानों से जुड़े किसी भी प्रकार का अनुभव नहीं है तो आप किसी हार्डवेयर की दुकान में कार्य करके ये अनुभव हासिल कर सकते हैं।

इस व्यापार की वृद्धि 

एक बार जब आपकी दुकान अच्छे से स्थापित हो जाए तो आप अपनी दुकान की फ्रेंचाइजी देना भी शुरू कर सकते हैं. फ्रेंचाइजी देने से ना केवल आपके स्टोर की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी, बल्कि साथ में ही आप अपने स्टोर की फ्रेंचाइजी देकर भी पैसे कमा सकेंगे |

हार्डवेयर की दुकान खोलने की प्रक्रिया 

हार्डवेयर की दुकान खोलने के लिए आपको किसी दुकान को किराए पर लेना होगा और उस दुकान में हार्डवेयर के सामानों को रखने के लिए जगह भी बनवानी होगी | जगह बनाने के बाद आपको कई प्रकार के हार्डवेयर के सामानों को किसी थोक व्यापारी से खरीदाना होगा |

जगह का चयन 

किसी भी प्रकार का स्टोर खोलने में स्थान एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है, क्योंकि अगर आप किसी ऐसी जगह पर अपनी हार्डवेयर की दुकान खोल लेते हैं, जहां पर अधिक आबादी नहीं है और ना ही हार्डवेयर का सामान ज्यादा लोगों द्वारा खरीदा जाता है, तो आपको केवल नुकसान ही होगा | 

आपको हार्डवेयर का स्टोर ऐसे स्थान पर खोलना होगा जो कि भीड़ भाड़ वाली जगह पर हो | इसके अलावा अगर आपकी दुकान किसी बड़े रोड या फिर किसी प्रसिद्ध मार्केट के पास होगा, तो ज्यादा बेहतर होगा. क्योंकि ऐसा होने से ज्यादा से ज्यादा लोग आपकी दुकान से सामान खरीद पाएंगे |

कितनी बड़ी होनी चाहिए दुकान 

हार्डवेयर की दुकान में कई तरह के सामान रखे जाते हैं, जिसमें से कुछ सामान थोड़ी जगह घेरते हैं, तो कुछ सामानों को रखने के लिए अधिक जगह की जरूरत पड़ती है | इसलिए आप जिस दुकान का चयन अपने हार्डवेयर स्टोर को खोलने के लिए करें वो दुकान बड़ी होनी चाहिए, ताकि आपको पाइप और सीढ़ी, जैसे हार्डवेयर सामानों को रखने में कोई दिक्कत ना हो |

स्टोर का निर्माण 

दुकान का चयन कर लेने के बाद, आपको उस दुकान में कई चीजों का निर्माण भी करवाना होगा. जैसे कि दुकान के अंदर आपको हार्डवेयर के सामान को रखने के लिए कैबन बनाने होंगे, साथ में ही आपको, हार्डवेयर के सामानों को रखने के लिए एक स्टोर की जरूरत भी पड़ेगी, वहीं पाइप जैसे सामनों को रखने के लिए आपको खुली जगह चाहिए होगी | 

स्टोर के नाम का चयन कैसे करें 

आपको अपनी हार्डवेयर की दुकान का एक नाम भी रखना होगा और उसी नाम से आपकी दुकान को जाना जाएगा | इसलिए सोच समझ कर ही अपनी हार्डवेयर की दुकान का नाम आप रखें |

आप अपनी दुकान के जरिए हार्डवेयर का सामान बेच रहे हैं तो आपको अपने इस स्टोर का नाम कुछ ऐसा रखना होगा, जिसको पढ़ते ही समझ आ जाए की आपके द्वारा इस स्टोर में हार्डवेयर का सामना बेचा जाता है | 

एक बार जब आप अपने स्टोर का नाम तय कर लें, तो आपको अपनी दुकान के नाम का एक बोर्ड भी बनवाना होगा और इस बोर्ड को अपनी दुकान के ऊपर लगाना होगा | इस बोर्ड पर आपकी दुकान के नाम के अलावा आपकी दुकान का पता और फोन नंबर जैसी इत्यादि चीजें भी लिखवानी होंगी | 

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कहां से हार्डवेयर का सामान खरीदें 

हार्डवेयर की दुकान को शुरू करते वक्त आपको कई प्रकार के हार्डवेयर सामानों को खरीदना होगा और आप ये सामान इनको बनाने वाले किसी व्यापारी से सीधे तौर पर खरीद सकते है या फिर इनको बेचने वाले किसी थोक विक्रेता से इन्हें खरीद सकते हैं | कोशिश करें कि आप ये सामान किसी एक थोक विक्रेता से खरीदने से पहले चार पांच विक्रेता से भी मिल लें और जिस थोक विक्रेता द्वारा ये सामान कम दामों में आपको बेचा जाए, आप उससे इन सामानों को खरीद लें | साथ ही आप केवल एक ही थोक व्यापारी पर निर्भर ना रहें और अन्य थोक विक्रेताओं से भी समय समय पर सामान खरीदते रहें |

हार्डवेयर की दुकान खोलने के लिए बिजनेस प्लान तैयार करें 

हार्डवेयर दुकान शुरू करने से पहले आपको इस स्टोर को खोलने से जुड़ा हुआ एक बिजनेस प्लान भी तैयार करना होगा और उस बिजनेस प्लान में आपको हार्डवेयर दुकान को खोलने में आनेवाला खर्चा, कहां से हार्डवेयर का सामान खरीदा जाए, आपका लक्षित बाजार या ग्राहक कौन हैं और इत्यादि जैसी चीजों की जानकारी लिखनी होगी | इसके अलावा आप अपने शहर की किसी हाईवेयर की दुकान में जाकर भी देख सकते हैं कि किस तरह से उस दुकान को बनाया गया है और क्या क्या सामान उस दुकान के जरिए बेचे जा रहे हैं |

आवश्यक परमिट और लाइसेंस प्राप्त करें –

आप जिस राज्य में अपनी हार्डवेयर की दुकान खोल रहे हैं आपको उस राज्य की स्थानीय नगर पालिका से अपनी दुकान को शुरू करने से पहले लाइसेंस  प्राप्त करना होगा और साथ में ही अपनी दुकान को भारतीय दुकान और स्थापना अधिनियम के तहत पंजीकृत भी करवाना होगा | वहीं अगर आपको लाइसेंस लेने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं है तो आप किसी वकील से मदद ले सकते हैं |

आयकर के लिए रजिस्टर करवाएं  –

अपनी दुकान को शुरू करने से पहले आपको आयकर भरने से जुड़े हुए सभी प्रकार के पंजीकरण भी करवाने होंगे | वहीं अगर आपको आयकर किस तरह से भरा जाता है और इससे जुड़े हुए पंजीकरण कैसे करवाए जाते है | इसके बारे में जानकारी नहीं है तो आप किसी चार्टर्ड एकाउंटेंट की सहायता ले सकते हैं | याद रहे कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना हर दुकानदार के लिए अनिवार्य है और आप इसे जरूर करवा लें और अपना जीएसटी नंबर ले लें |

व्यापार बीमा प्राप्त करना 

अपनी हार्डवेयर की दुकान को शुरू करने से पहले, आप इस दुकान का इन्शुरेंस  भी जरूर करवा लें, ताकि अगर किसी कारण से आपकी दुकान का कोई नुकसान हो जाए, तो आप बीमा की राशि की मदद से अपने नुकसान को कम कर सकें |

बाजार में कई ऐसी बीमा कंपनियां हैं जो कि व्यापार बीमा करती हैं, इसलिए आप अपनी दुकान का बीमा करवाने से पहले, व्यापार बीमा करवाने वाली चार पांच कंपनियों द्वारा कितना बीमा क्लेम दिया जा रहे, इसकी तुलना कर लें | और जो कंपनी अधिक बीमा क्लेम दे रही हो उससे अपनी दुकान का बीमा करवा लें |

लोगों का चयन कैसे करें 

हार्डवेयर की दुकान में बेचे जाने वाला सामान काफी भारी होता है और इन सामानों को संभालना भी काफी मुश्किल होता है | इसलिए आप केवल उन्हीं  लोगों को नौकरी पर रखें, जो कि हार्डवेयर के सामानों को अच्छे से संभाल सकें | और उन्हें रस्सी के आकार, रस्सी कितने प्रकार की होती है, ये कितने साइज में आती है, किस तरह की रस्सी का इस्तेमाल किस कार्य के लिए किया जाता है, पाइप को किस तरह से काटा जाता है और इत्यादि जैसी चीजों की जानकारी हो |

बजट और अन्य खर्चे 

हार्डवेयर की सामान्य दुकान खोलने में आपको कम से कम दो लाख रुपए का खर्चा आ सकता है | वहीं अगर आप काफी बड़ी दुकान खोलते हैं तो ये खर्चा चार लाख रुपए तक आ सकता है | 

साथ ही में जब आपकी हार्डवेयर की दुकान शुरू हो जाएगी तो आपको कई तरह के अन्य खर्चे भी समय समय पर उठाने पड़ेंगे, जैसे कि दुकान का किराया, दुकान की बिजली का खर्चा, कर्मचारियों की आय और इत्यादि | इसलिए आप इन खर्चों को भी अपने बजट में जोड़ लें | ताकि जब आप दुकान शुरू करें तो आपके द्वारा निर्धारित किया गया बजट कम ना पड़े |

मुनाफा 

हर उत्पाद की बिक्री पर अलग अलग प्रॉफिट मार्जिन कंपनियों द्वारा दिया जाता है और ये प्रॉफिट मार्जिन किन्हीं उत्पादों पर ज्यादा होता है और किन्ही उत्पादों पर कम दिया जाता है और इन उत्पादों पर मिलने वाला ये प्रॉफिट ही आपकी इनकम होगी |

कैसे कमाएं अधिक मुनाफा 

लोगों से करें संपर्क–  हार्डवेयर की दुकान पर कई प्रकार के टूल, बेचे जाते हैं और इन टूल का सबसे अधिक इस्तेमाल कारपेंटर, पेंटरों और मिस्त्री द्वारा किया जाते हैं, इसलिए अगर आप अपने सामान की अधिक बिक्री करना चाहते हैं, तो आप अपने एरिया के कारपेंटर और जो लोगों घर बनाने का कार्य करते हैं, उनसे संपर्क में रहें, ताकि अगर उनको कभी भी इस प्रकार के सामान की जरूरत पड़े तो वो आप से ही इन्हें खरीदें, वहीं आप इन्हें ये सामान बेच कर पैसे कमा पाएं | 

वेबसाइट के जरिए – आजकल अधिकतर लोगों द्वारा वेबसाइट के जरिए ही शॉपिंग की जाती है और ऐसे में अगर आप भी वेबसाइट के साथ अपने व्यापार को जोड़ लेंगे, तो आप अधिक से अधिक ग्राहकों तक अपना सामान पंहुचा सकेंगे | वहीं आप अपने दुकान के जरिए बेचे जाने वाले हार्डवेयर के सामानों को अपनी खुद की वेबसाइट शुरू करके भी बेच सकते हैं या फिर किसी अन्य शॉपिंग वेबसाइट के जरिए भी अपने हार्डवेयर के सामान को बेच सकते हैं | 

विज्ञापन के जरिए- ग्राहकों तक अपनी दुकान के बारे में जानकारी पहुंचाने के लिए, आप लोकल अखबार में अपने दुकान का विज्ञापन दे सकते हैं या फिर अपनी दुकान का बोर्ड सड़कों के किनारे भी लगा सकते हैं |

हार्डवेयर की दुकान को खोलने से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी –

  • अपने व्यापार के वित्तीय खर्चे का हिसाब रखना भी काफी जरूरी होता है, इसलिए आप अपनी महीने की कमाई, खर्चे और आयकर का रिकॉर्ड जरूर बनाकर रखें | ताकि आपको पता चल सके की आपके व्यापार में आपको कितना मुनाफा हो रहा है | 
  • आप दुकान में बेचे जाने वाले सब सामानों की सूची कंप्यूटर में भी भर के रख लें | कंप्यूटर में सामानों की सूची होने से आपको आसानी से पता चल सकेगा कि किस सामान का कितना स्टॉक आपकी दुकान में बचा हुआ है, कौन सा सामान खत्म होने वाला है और किस सामान की बिक्री ज्यादा हुई है | 
  • अपने हार्डवेयर स्टोर के जरिए आप जो सामान बेचना चाहते हैं उसका चयन सोच समझ कर करें और केवल उन्हीं हार्डवेयर सामानों को बेचे जिनमें आपको अधिक मुनाफा मिले और जो जल्दी से बिक भी जाएं | 
  • हार्डवेयर के कई ऐसे सामान होते हैं जिनपर एमआरपी नहीं लिखती होती है और इसलिए आप इन सामानों को थोड़े से उच्च दामों में भी बेच सकते हैं |
  • जिस क्षेत्र में आप ये स्टोर खोलने वाले हैं, उस क्षेत्र में पहले से कितने हार्डवेयर के स्टोर मौजूद है आप ये पता कर लें | साथ ही इन स्टोर द्वारा कौन सा सामान कितने में बेचा जा रहा है ये भी पता कर लें और हो सके तो आप अपने हार्डवेयर का सामान, इन दुकानों पर बिकने वाले सामानों के मूल्य से कम में बेचे. ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहक आप से जुड़ सकें | 

परिणाम 

हार्डवेयर की दुकान के जरिए आप कई तरह का सामान बेच सकते हैं और हार्डवेयर के सामानों की मांग भी काफी रहती है | इसलिए इस व्यापार में नुकसान होने की संभावना भी कम बनी रहती है और आप इस व्यापार को बिना किसी डर के शुरू कर सकते हैं |


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Friday, 26 March 2021

Company कैसे शुरू करें-Business Idea

March 26, 2021 0
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 Company कैसे शुरू करें

कंपनी वह होती है, जो कुछ प्रशिक्षित लोग मिलकर बनाते हैं, जिसका उपयोग विभिन्न तरह के सामान बेचने व खरीदने के लिए या सेवाओं को प्रदान करने या फिर लेने के लिए किया जाता है | आज के समय में भारत देश में बहुत सी ऐसी कंपनी है, जो नंबर वन पर है, लेकिन बहुत सी ऐसी कंपनी है, जो आज तक संघर्ष कर रही हैं, क्योंकि आज के समय में बाजार में इतनी अधिक प्रतियोगिता बढ़ गई है, कि कोई भी बाजार में संतुलन नहीं बना पा रहा हैं | आज हम आपको विस्तारपूर्वक बताएंगे कि कंपनी क्या होती है और वह किस तरह से कार्य करती है, साथ ही बताएंगे कंपनी के कितने प्रकार होते हैं | 

कंपनी क्या है 

कुछ चुने हुए प्रशिक्षित अधिकारी जब एक संगठन को मिलकर चलाते हैं, तो वह एक कंपनी बन जाती है | कंपनी में मौजूद शेयरधारकों द्वारा सामान बेचने व खरीदने के लिए या फिर सेवाओं का आदान प्रदान करने के लिए उस कंपनी का निर्माण किया जाता है | कुछ कंपनियां लाभकारी संगठन से जुड़ी होती है और कुछ कंपनियां गैर-लाभकारी संगठन के लिए भी कार्य करती हैं | एक अकेला इंसान किसी भी कंपनी को नहीं चला सकता है, उसे उस कंपनी को चलाने के लिए कई सारे श्रमिकों की आवश्यकता होती है, जिसके लिए वे कई लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं | कंपनियों को हक होता है, कि वे दूसरी कंपनियों के शेयर खरीद कर उन्हें अपने नाम कर सकती हैं व जरूरत पड़ने पर दूसरी कंपनियों पर मुकदमा भी कर सकती हैं | इसके अतिरिक्त एक कंपनी अपनी पूंजी वृद्धि के लिए बाजार से पैसा उधार भी लेती है व अपने शेयर बेच कर पैसे इकट्ठा भी करती है | यदि कानूनी रूप से देखा जाए, तो सभी प्रकार की कंपनियों के पास समान अधिकार व जिम्मेदारियां होती हैं | साथ ही उनके पास जिम्मेदारी के तौर पर कुछ कानूनी नियम भी होते हैं, जिनका अनुसरण करना उनके लिए अनिवार्य होता है | यदि कोई भी कंपनी कानून के बनाए हुए नियमों का उल्लंघन करती है, तो वे उनके लिए दंडनीय अपराध होता है |

कंपनी के प्रकार 

आमतौर पर कंपनी के कई सारे प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित है:-

एकल व्यक्ति कंपनी :- एक कंपनी सदस्यों के आधार पर भी बनाई जाती है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग अपना व्यवसाय आरंभ करने की ही सोच रहे होते हैं, पर उस समय उनके पास उपयुक्त पूंजी नहीं होती है | ऐसे में वे अकेले ही युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई कंपनी का अविष्कार करते हैं और अपने व्यवसाय को धीरे-धीरे बढ़ावा देते हैं |

निजी कंपनी :- निजी कंपनी वह कंपनी होती है, जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति कंपनी अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड हो जाते हैं और एक अपनी अलग से कंपनी बनाते हैं | वे एक व्यवसाय निर्धारित कर लेते हैं और उससे जुड़ी सभी प्रशिक्षित वस्तुओं के बारे में जानकर एक कंपनी का आरंभ कर देते हैं |

सार्वजनिक कंपनी :- एक ऐसी कंपनी जो कानूनी वस्तुओं के साथ न्यूनतम 7 सदस्यों की संख्या द्वारा बनाई जाती है, उसे सार्वजनिक कंपनी कहते हैं | इस कंपनी में अधिकतम सदस्यों की कोई सीमा नहीं होती है, क्योंकि यह एक पंजीकृत कंपनी होती है | इस कंपनी को अपने शेयर स्वतंत्र रूप से बेचने व खरीदने की पूरी छूट होती है | कोई भी व्यक्ति जब सार्वजनिक कंपनी से जुड़ जाता है, तो वह भी सार्वजनिक कंपनी के अंतर्गत आ जाता है |

साझेदार कंपनी :- एक कंपनी ऐसी होती है जो कुछ साझेदारों द्वारा आरंभ की जाती है और चलाई भी जाती है | किसी भी कंपनी को चलाने के लिए 2 या उससे अधिक साझेदार उस कंपनी के मालिकाना हक को पाने के हकदार होते हैं |

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Company कैसे शुरू करें-Business Idea

कंपनी की विशेषताएँ 

फेक पर्सन :-  एक कंपनी भी एक व्यक्ति की तरह ही कार्य करती है जिस तरह से एक मनुष्य सबसे पहले ईश्वर की इच्छा अनुसार जन्म लेता है | ठीक उसी प्रकार एक कंपनी मनुष्य की इच्छा अनुसार जन्म लेती है मतलब स्थापित की जाती है | जिस तरह मनुष्य का जीवन चलता है वह बढ़ता है खाता है पीता है और जीवन में दुख और सुख देखता है, ठीक उसी तरह एक कंपनी को भी सभी प्रकार के दुख-सुख अर्थात हानि और लाभ भुगतने पड़ते हैं | जो उनको नुकसान भी पहुंचाते हैं तो फायदा भी दिलाते हैं |

स्वतंत्र कंपनी – स्वतन्त्र कंपनी एक कंपनी की ऐसी विशेषता है | जिसके अंतर्गत कोई भी कंपनी अपने सदस्यों से अलग एक इकाई बनाती है | वह पूरी संपत्ति अपने नाम पर ही रख सकती है और किसी भी अनुबंध को कभी भी बना व बिगाड़ सकती है | उस कंपनी में कंपनी मालिक को इतनी स्वतंत्रता होती है कि वह दूसरों पर किसी भी तरह की गलती होने पर मुकदमा कर सकता है | व दूसरी कंपनियां भी उस कंपनी पर कोई परेशानी वाली स्थिति उत्पन्न होने पर मुकदमा कर सकती है |

सभी प्रभावों से दूर – एक कंपनी ऐसी होती है जिस पर प्राकृतिक प्रभावों का कोई असर नहीं पड़ता है | सरल शब्दों में कहें तो किसी भी कंपनी के किसी भी सदस्य व संचालक की मृत्यु उसका पागलपन या संपत्ति रूप से वह पूरी तरह से बर्बाद हो जाने के बाद भी एक कंपनी पर उस परिस्थिति का कोई असर नहीं पड़ता है | 

सीमित दायित्व – एक कंपनी में कई सारे सदस्य मौजूद होते हैं | जो उस कंपनी के शेयर वार्षिक रूप से अपने नाम पर लेकर उस कंपनी के सदस्य बनते हैं | कोई भी व्यक्ति जो कंपनी से शेयर लेता है उसकी पूरी गारंटी सिर्फ कंपनी द्वारा दी गई गारंटी तक सीमित होती हैं | 

शेयर ट्रान्सफर सुविधा – सार्वजनिक कंपनी में एक सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वह अपने द्वारा अपनाए गए शेयर को स्वतंत्रता पूर्वक किसी के हाथ में भी ट्रान्सफर कर सकते हैं | अब किसी परिस्थिति में यदि कोई कंपनी का मालिक अपने द्वारा लिए हुए शेयर को बेचना व खरीदना चाहता है तो वह भी विनिमय के माध्यम से अपने शेयर को खरीद व बेच सकता है | 

स्वामित्व तथा प्रबंधन – सामान्य तौर पर एक सार्वजनिक कंपनी में सदस्यों की संख्या और सीमित होती है इसका यही मतलब है कि एक सार्वजनिक कंपनी में काफी मात्रा में सदस्य मौजूद होते हैं | जो कंपनी में होने वाले प्रत्येक कार्य व प्रबंधन में दिन-प्रतिदिन भाग लेने में सक्षम नहीं हो पाते हैं | इसलिए एक कंपनी का प्रबंध संचालक मंडल तैयार किया जाता है जो पूरी तरह से कंपनी को संचालित करते हैं | कंपनी के सदस्यों द्वारा ही चुनाव प्रक्रिया के जरिए कंपनी के मुख्य संचालकों को चुना जाता है अतः उन्हें कंपनी के प्रबंधन का पूर्ण स्वामित्व प्रदान कर दिया जाता है | 

अपनी कंपनी को रजिस्टर करना क्यों आवश्यक है 

किसी भी एक कंपनी को सुचारु रुप से चलाने के लिए उसका पंजीकरण कराना बहुत ज़रुरी होता है | आइए जानते हैं कुछ मुख्य कारण की एक कंपनी को पंजीकृत कराने से आपको क्या फायदा होता है और आपको क्यों एक कंपनी पंजीकृत करनी चाहिए |  

कंपनी का पंजीकरण कंपनी को देता है मुख्य पहचान :- कोई भी कंपनी चलाने के लिए उसका पंजीकरण कराना बेहद आवश्यक होता है | क्योंकि वह कंपनी को एक विशिष्ट पहचान देता है. कंपनी कानूनी रूप से पंजीकृत करा ली जाती है तो वह आसानी से उपभोक्ताओं आपके उत्साह पर भरोसा दिलाने के लिए सक्षम हो पाती है | कानूनी रुप से पंजीकृत कराने पर आपकी कंपनी को एक कानूनी नाम, पता व पहचान प्राप्त हो जाती है | यदि आप अपनी कंपनी अपने पसंदीदा नाम से पंजीकृत करा लेते हैं तो आपको यह भी पता चल जाता है कि इस नाम का उपयोग पहले कोई व्यक्ति अपनी कंपनी के लिए कर चुका है या नहीं और यदि आपने वह नाम अपने व्यवसाय के लिए चुन लिया है तो उस नाम को कोई भी व्यक्ति अपनी कंपनी के नाम के लिए उपयोग नहीं कर सकता है |

यह आपको व्यक्तित्व दायित्व से बचाता है :- जब आप एक कंपनी पंजीकृत करा लेते हैं भले ही वह आपके नाम पर क्यों ना हो, ऐसे में कंपनी में किसी भी होने वाले नुकसान की भरपाई आपको व्यक्तिगत रूप से नहीं करनी पड़ती है | सरल शब्दों में कहें तो किसी भी संपत्ति जैसे किसी भी भारी क्षति का मुकदमा अदालत में दायर तो किया जा सकता है, लेकिन एक पंजीकृत कंपनी के स्वामित्व रखने वाले व्यक्ति को इसका पूरी तरह जिम्मेदार नहीं माना जाता है | यदि आपकी कंपनी पंजीकृत है तो मान लीजिए कि आपकी कंपनी पर कोई लोन बकाया है या फिर किसी कंपनी की राशि बकाया है जो आपको भुगतान करनी है, ऐसे में यदि आप भुगतान नहीं कर पाते हैं और आपकी कंपनी में कोई बड़ा नुकसान हो जाता है, तो इसकी भरपाई आपके घर की किसी भी वस्तु को बेचकर नहीं की जा सकती है क्योंकि आपकी कंपनी पंजीकृत है |

ग्राहकों को आकर्षित करना होता आसान है :- किसी भी कंपनी या उसके द्वारा निर्मित उत्पाद पर विश्वास करना किसी भी ग्राहक के लिए आसान नहीं होता, लेकिन कंपनी में मौजूद सदस्य उस उत्पाद को इतना आकर्षित बना देते हैं कि ग्राहकों को आकर्षित करना और उनको विश्वास दिलाना बेहद आसान हो जाता है |

अपनी कंपनी के लिए निवेशक आसानी से प्राप्त करना :-  किसी भी कंपनी को चलाने के लिए उसमें संपूर्ण वित्तीय राशि की आवश्यकता होती है | ऐसे में कोई भी एक व्यक्ति एक कंपनी को चलाने के लिए पर्याप्त राशि नहीं जुटा सकता है और ना ही पर्याप्त साधन जुटा सकता है | ऐसे में कंपनी को कुछ निवेशकों की आवश्यकता होती है या फिर वह अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए किसी बैंक से लोन लेता है, जिसके लिए उस कंपनी का पंजीकृत होना बहुत आवश्यक है | यदि कोई कंपनी पंजीकृत नहीं होती है, तो ऐसी कंपनी में कोई भी निवेशक अपनी राशि निवेश नहीं करता है | एक निवेशक को अपनी कंपनी में निवेश के लिए निमंत्रण देने से पहले आपको अपनी कंपनी पंजीकृत करानी आवश्यक है |

व्यवसाय को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए :- कुछ लोग छोटे पैमाने पर अपना व्यवसाय शुरू करते है, उस समय वह अपने व्यापार को पंजीकृत नहीं कराते हैं | ऐसे में वह अपना व्यवसाय कब तक चला पाएगा कब तक नहीं इस बात का कोई अंदाजा नहीं लगा पाता है | यदि आप अपना व्यवसाय लंबे समय तक चलाना चाहता है, और वह अपनी भविष्य की योजना पहले से ही तैयार रखता है तो उसके लिए आवश्यक है कि आप अपनी कंपनी पंजीकृत अवश्य करा ले |

अपनी कंपनी को रजिस्टर कैसे करे 

कंपनी को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए एक प्रक्रिया अपनानी अनिवार्य है जो निम्नलिखित है :-

भारतीय कंपनी अधिनियम के तहत कंपनी के रजिस्ट्रेशन के समय एक कोरिया नंबर जारी किया जाता है, जो DIN ((DIRECTOR IDENTIFICATION NUMBER) मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स द्वारा एक यूनीक आईडेंटिफिकेशन कोड होता है | उस कोड से एक व्यक्ति जो कंपनी का प्रबंधक बनना चाहता है, यह उसकी पहचान होती है. इस कोड को प्राप्त करने के लिए आपको एमसीए पोर्टल पर जाकर इ-फॉर्म dir-3 भरना पड़ता है | जिसके लिए आपको 500 रुपए की एप्लीकेशन फीस भी जमा करनी होती है | 

दूसरे चरण में आपको डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट DIGITAL SIGNATURE CERTIFICATE (DSC) प्राप्त करना होता है | यदि आप चाहते हैं कि आपकी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कार्य शीघ्रता से संपन्न हो तो आपको यह सर्टिफिकेट प्राप्त करना बहुत आवश्यक होता है | इसके बाद आपको बिजनेस रजिस्ट्रेशन करते समय एक फॉर्म भी भरना आवश्यक होता है, इससे भारत सरकार द्वारा प्राधिकृत थर्ड पार्टीज कंपनी जैसे टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज, नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर, एमटीएनएल ट्रस्टलाइन, e-mudra ये सभी सुविधाएं सरकार द्वारा प्रत्येक कंपनी के लिए उपलब्ध कराई जाते हैं | एक कंपनी को पंजीकृत कराने के लिए आपको डीएससी एक ऐसी कंपनी जो भारत सरकार द्वारा प्राधिकृत होती है उसके ऑफिस में जाकर आपको अपनी कंपनी के रजिस्ट्रेशन के लिए आपना आवेदन भरना होता है | यदि आप बीएससी द्वारा आवेदन भरते हैं तो आवेदन के समय होने वाला सारा खर्च कंपनी के आधार पर निर्भर करता है | e-mudra के अनुसार इसकी कीमत मात्र 899 रुपये रखी गई है | 

इस प्रक्रिया के तीसरे चरण में आपको अपनी कंपनी किस नाम पर रजिस्टर करानी है, उस नाम को सबसे पहले आपको एमसीए पोर्टल के माध्यम से चेक कर लेना चाहिए, कि आप जिस नाम को रजिस्टर कराना चाहते हैं, वह पहले से किसी और कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड ना हो | यदि आपके द्वारा सोचा गया नाम किसी भी कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड नहीं है, तो आप उस नाम को अपनी कंपनी का नाम रख सकते हैं उसके बाद आपको एक inc-1 फॉर्म भरना होता है | इसका सीधा और सरल मतलब यह होता है कि आपके द्वारा सोचा गया नाम आपकी कंपनी के लिए पंजीकृत किया जा चुका है, इस नाम का कोई और व्यक्ति उपयोग नहीं कर सकता है |

कंपनीज एक्ट 2015 के अनुसार एक कंपनी के लिए कुछ मुख्य नियम व कानून लागू किए गए हैं | उनके अनुसार कंपनी के पंजीकृत के समय मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन कंपनी के लिए दो मुख्य ऐसे व्यवसायिक डाक्यूमेंट्स हैं जिन्हें प्रत्येक कंपनी को प्राप्त करना आवश्यक है | सामान्य तौर पर इन दोनों दस्तावेजों में एक कंपनी द्वारा पालन किए गए दिशा-निर्देश व नियम कानून का पूरा ब्यौरा दिया जाता है | जो कंपनीज एक्ट 2015 के अनुसार अनिवार्य है | कुछ मुख्य प्रकार के दस्तावेज बनाने के लिए वकील या चार्टर्ड अकाउंटेंट की आवश्यकता प्रत्येक कंपनी को पड़ती है | इन दोनों दस्तावेजों का एक कंपनी के लिए अहम स्थान होता है इसलिए इनको एक प्रशिक्षित व्यक्ति की देखरेख में ही बनवाए | 

इन सभी प्रक्रियाओं के बाद आपको एमसीए पोर्टल में जाकर एक और फॉर्म जमा कराना होता है जिसका नाम इनकारपोरेशन फॉर्म है | इसके अंतर्गत यदि आप वन पर्सन कंपनी को पंजीकृत करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको ई-फॉर्म 2 INC-2  को उचित रूप से भरकर जमा कराना होगा | इसके अलावा अन्य प्रकार की कंपनियों के लिए आपको ई-फॉर्म INC-7 भरना होगा | 

रजिस्ट्रेशन फॉर्म की प्रक्रिया के दौरान आपसे एक राशि ली जाती है जिसे स्टांप ड्यूटी होती है | जब आपकी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो आपको एक चालान के साथ स्टैम्प ड्यूटी के भुगतान के बाद एक दस्तावेज दिया जाता है इसे आपको उस राज्य में कंपनी रजिस्टर्ड ऑफिस में दिखाना होता है जिस राज्य में आप अपनी कंपनी स्थापित करने वाले है | 

इस पूरी प्रक्रिया के बाद जब आपके सभी दस्तावेज पूरे हो जाते हैं और आप पूरा फॉर्म भर लेते हैं उसके बाद आपके सभी दस्तावेजों की जांच पड़ताल की जाती है जिसमें लगभग 2 दिन का समय लग जाता है | अब आपको आवश्यकता होती है इन-कोर्पोरेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने की जिसके लिए आपकी रजिस्टर्ड इमेल id पर आपको एक हफ्ते के अंदर इन-कॉर्पोरेशन सर्टिफिकेट प्राप्त हो जाता है | जब आपको इनकॉरपोरेशन सर्टिफिकेट आपकी ईमेल आईडी द्वारा प्राप्त हो जाता है तो उसकी एक फोटो कॉपी करा कर आपको अपने पास जरूर रख लेनी चाहिए, क्योंकि भविष्य में सभी महत्वपूर्ण कार्य में उस सर्टिफ़िकेट की आपको आवश्यकता होती है | 

यदि आप अपनी कंपनी के नाम से एक चालू खाता किसी भी बैंक में खोलना चाहते हैं तो उसके लिए भी आपसे मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन की फोटो कॉपी की मांग की जाती है | 

कंपनी की जब रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी हो जाती है तब आप पैन कार्ड पंजीकरण के लिए एनएसडीएल ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन अवश्य भरे ताकि आप कंपनी के नाम पर एक पैन कार्ड पंजीकृत करा लें | 

कंपनी रजिस्टर कराने के लिए अन्य आवश्यक दस्तावेज़ 


  • कंपनी को पंजीकृत कराने के लिए एक कंपनी में मौजूद सभी प्रबंधकों के पहचान प्रमाण पत्र और साथ ही उनके पता प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी आवश्यक होती है | 
  • अन्य प्रमाण पत्रों के साथ कंपनी के रजिस्ट्रेशन के समय सभी प्रबंधको के पैन कार्ड की फोटो कॉपी होना भी अनिवार्य है | 
  • यदि आपने ऑफिस के लिए अपनी जमीन खरीदी है तो उसका प्रमाण पत्र अन्यथा यदि आपने ऑफिस के लिए कोई जमीन गिरवी पर या फिर किराए पर ली है तो उसके प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी भी रजिस्ट्रेशन के समय आवश्यक होती है | 
  • यदि आपने कोई जमीन किराए पर ली है तो उसके मालिक द्वारा प्राप्त नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भी आपके पास होना अनिवार्य है | 
  • जो व्यक्ति कंपनी को पंजीकृत कराना चाहता है उसका स्वयं का पहचान प्रमाण पत्र और उसकी पंजीकृत ई-मेल id का प्रमाण पत्र भी वहां पर प्रस्तुत करना अनिवार्य है | 
  • कंपनी रजिस्ट्रेशन के समय कंपनी का मालिकाना हक रखने वाले व्यक्ति के बैंक की स्टेटमेंट की फोटो कॉपी और अन्य किसी भी प्रकार के बिल की फोटोकॉपी भी जमा करानी अनिवार्य होती है |


परिणाम 


भारत में किसी भी कंपनी को स्थापित करने में ज्यादा समय नहीं लगता है, पहले उसको पंजीकृत कराने में अधिक समय लगता था | लेकिन वर्तमान समय में ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है | किसी भी कंपनी को पंजीकृत कराए बिना आप उसमें सफल व्यवसाय नहीं कर सकते हैं, इसलिए यदि आप किसी भी कंपनी की नींव रख रहे हैं तो उसके साथ ही उसको पंजीकृत अवश्य करा ले | पंजीकरण के बाद आप भविष्य में जुड़ी समस्याओं का सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं. एक कंपनी एक अकेले इंसान से नहीं बल्कि कंपनी के सभी प्रबंधको के सहयोग से चलाई जाती है | उसी कंपनी को दीर्घकालिक रूप से चलाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान उस कंपनी से जुड़े हुए उपभोक्ता निभाते हैं |



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